तेरह-तेरह महीने के लिए बर्फीले अंटार्कटिका महाद्वीप में तीन बार प्रवास कर चुके पोलार मैन राजीव बीरड़ा चूरू आए, अंटार्कटिका यात्रा के अनुभव साझा किए
चूरू। बर्फीले अंटार्कटिका महाद्वीप की तीन बार यात्रा कर चुके पोलार मैन राजीव बीरड़ा शनिवार को चूरू आए। चूरू पहुंचने पर युवाओं ने उनका स्वागत किया। इस दौरान बीरड़ा ने अपने अंटार्कटिका प्रवास के अनुभव साझा किए और कहा कि यदि आपके मन में जुनून है तो फिर कुछ भी असंभव नहीं है। अपने सफर पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पहली बार अंटार्कटिका यात्रा के लिए चुने जाने पर उन्हें काफी हैरत हुई क्योंकि वे खुद भी इसके बारे में पूरी तरह जानते नहीं थे। उन्होंने कहा कि अंटार्कटिका में सर्वाइवल करना काफी मुश्किल है लेकिन चुनौतियों से आपको लड़ना ही पड़ता है। अनेक देशों के वैज्ञानिक वहां विभिन्न रिसर्च कार्य कर रहे हैं। ऎसे में भारत के लिए वहां काम करना हमेशा गौरवपूर्ण लगा। अंटार्कटिका के लंबे दिन रात और बर्फीले मौसम के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि वहां कई-कई दिन तक लगातार तूफान चलते रहते हैं, ऎसे में फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ मानसिक मजबूती का पल-पल इम्तेहान होता है। उन्होंने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव भी कहीं न कहीं वहां पड़ा ही है और बड़े-बड़े आईसबर्ग टूटकर समुद्र में गिरते हैं। उन्होंने बताया कि अंटार्कटिका दरअसल इंसानी जिंदगी के लिए बना ही नहीं है, वहां शून्य से 89 डिग्री नीचे तक का तापमान दर्ज किया गया है और खून जमाने वाली ठंड वहां पड़ती है लेकिन विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए अनेक वैज्ञानिक वहां शोधरत रहते हैं। उन्होंने युवाओं के नाम अपने संदेश में कहा कि युवा ठान लें तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है। उन्होंने कहा कि युवाओं को हमेशा ऎसे रोमांचक और कुछ अलग टास्क की तलाश में रहना चाहिए।
इस दौरान सहायक निदेशक (जनसंपर्क) कुमार अजय ने राजीव की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए कहा कि ठेठ रेगिस्तान और गर्मी के लिए मशहूर जगह से बर्फीले अंंटार्कटिका तक का राजीव का सफर निस्संदेह सभी के लिए प्रेरणादायी है। आरजे हेल्पलाइन के अमजद तुगलक, आसिफ टीपू, सहायक जनसंपर्क अधिकारी सीताराम जांगिड़, जसवंत सिंह, राजेश गोठवाल, नरेश इसराण, संजय गोयल, आकाश आदि ने राजीव का स्वागत किया।