कन्हैयालाल सेठिया ने राजस्थानी भाषा और साहित्य को एक नयी पहचान दी – डॉ. मीनाक्षी बोराणा

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कन्हैया लाल सेठिया साहित्य संवाद श्रृंखला

सुजानगढ़ । स्थानीय मरूदेश संस्थान द्वारा रविवार दोपहर को आयोजित साहित्य मनीषी कन्हैया लाल सेठिया साहित्य संवाद श्रृंखला के तहत बोलते हुए जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर की राजस्थानी विभाग अध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी बोराणा ने कहा कि सेठिया ने राजस्थानी भाषा और साहित्य को एक नयी पहचान दी। मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष डॉ.घनश्याम नाथ कच्छावा ने बताया कि सेठिया की एक सौ एक जयन्ती वर्ष पर प्रतिमाह आयोजित इस वर्चुअल कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ. मीनाक्षी बोराणा ने कहा कि कन्हैया लाल सेठिया राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता के प्रबल पक्षधर थे और उन्होने जीवन पर्यन्त इसके लिए खूब संघर्ष भी किया। राजस्थानी की मान्यता उनका सपना था जिसे साकार किया जाना चाहिए ताकि ऐसे महान कवि को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सके। डॉ. मीनाक्षी बोराणा ने कहा कि व्यक्ति सबसे सशक्त आत्मिक अभिव्यक्ति अपनी मातृभाषा में ही दे सकता है। मातृभाषा राजस्थानी सेठिया की ताकत रही।अपनी इसी लोकभाषा के कारण ही आज उनकी रचनाएँ लोक कंठो में स्थापित हुई है। डॉ. मीनाक्षी बोराणा ने कहा कि सेठिया ने आध्यात्य व दर्शन जैसे गूढ़ विषय को अपनी कविताओं का विषय बनाया। उनकी कविता के विषय इसी परिवेश की देन है। डॉ. बोराणा ने कन्हैया लाल सेठिया को शब्दों का जादूगर बताते हुए कहा कि बड़ी से बड़ी बात को कम और प्रभावी शब्दों में समाज को सौपने की सामर्थ्य उनके पास रही। डॉ. बोराणा ने अपने एक घंटे के व्याख्यान में सेठिया के साहित्य में नैतिकता, जीवन मूल्य और यथार्थवाद पर चर्चा की। डॉ. बोराणा ने सेठिया की सभी राजस्थानी पुस्तकों और उनकी चुनिंदा कविताओं का अर्थपूर्ण वाचन करके यह समझाने का प्रयास किया कि गूढ रहस्य के रचनाकार कन्हैयालाल सेठिया की दृष्टि मानवतावादी रही है। उनकी रचनाधर्मिता आदमी को आदमी से जोड़ने का प्रयास करती परिलक्षित होती है। डॉ. मीनाक्षी बोराणा ने बहुत ही सहजता और सरलता से सेठिया के साहित्यिक अवदान को जन समक्ष रखा। डॉ. बोराणा ने यह भी कहा कि कवि कोई भी रचनाकर्म करें उसके पीछे उसका कोई सारभूत उद्देश्य होना चाहिए क्योंकि उद्देश्यविहीन रचना समाज पर कोई असर नहीं छोड़ती। कार्यक्रम के अंत में डॉ. मीनाक्षी बोराणा ने सभी से ” दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी ” का सार्थक संदेश देकर कोरोना काल के संकट में सभी को एक दूसरे का सहयोग करने की अपील की।

इस आयोजन के संयोजक किशोर सैन व सुमनेश शर्मा ने संस्थान की ओर से डॉ. मीनाक्षी बोराणा का आभार ज्ञापित किया। मरूदेश फेसबुक पेज से लाइव इस आयोजन से कन्हैया लाल सेठिया के पुत्र जयप्रकाश सेठिया, पौत्र सिद्धार्थ सेठिया, अभिनव राजस्थान के संयोजक डॉ. अशोक चौधरी, साहित्यकार डॉ.गजेसिंह राजपुरोहित, प्रो. सुरेंद्र डी. सोनी, योगी हुकमसिंह तँवर,जितेंद्र निर्मोही, संतोष चौधरी, कमल नयन तोषनीवाल, शंकर शर्मा, मोहन सोनी, सुनीता रावतानी, डॉ. मंजू शर्मा, ओम तूनवाल, महेंद्रसिंह छायण, डॉ. वीरेंद्र भाटी मंगल, ओमप्रकाश चारण, विष्णु शंकर, हरिप्रसाद रक्षक, आरती सोनी, ऐडवोकेट हेमन्त शर्मा, भँवर लाल गिलाण, कंचनलता शर्मा, आशीष महाजन, रमाकांत भाऊवाला, पंकज खेतान, राजेंद्र शर्मा ,रफीक राजस्थानी, डॉ. करणीदान चारण, यासीन अख्तर, अमित प्रजापत, पं. मोहन शास्त्री, इकबाल खान बबलू, प्रेम रतन शर्मा, ममता जयपाल, पीथाराम ज्याणी, रफीक गौरी, ताराचंद तँवर सहित देश विदेश से अनेक लोग जुड़े।

संवाद श्रृंखला की झलकियों के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें…

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https://fb.watch/55hkllMeuv/

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