दर्शकों को रास आया चूरू पुलिस का अनूठा नवाचार
चूरू। चूरू पुलिस, फिल्मस्थान और संप्रीति संस्थान की ओर से सोमवार को आयोजित लाइव कार्यक्रम ‘संगीत के नाम एक शाम’ में संगीत रसिकों को अप्रतिम और अविस्मरणीय शाम का एक तोहफा दिया गया।
चूरू पुलिस के फेसबुक पेज पर ऑनलाइन दर्शकों को राजस्थानी आन- बान- शान और शौर्य के प्रतीक गीतों के अलावा लोकप्रिय बॉलीवुड गीत सुनने को मिले। ओल्ड इज गोल्ड, बॉलीवुड गीतों से सजी इस शाम को यादगार बनाया सरदारशहर के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार आमिर भियाणी, बाड़मेर के लंगा मांगणियार दादा खान और श्रीडूंगरगढ़ के मोहम्मद रमजान मुनव्वर ग्रुप ने।राजस्थान के विभिन्न अंचलों के गायकों को एक प्लेटफार्म यानी चूरू पुलिस के फेसबुक पेज पर लाकर देश और विदेश के ऑनलाइन दर्शकों का मनोरंजन किया गया।
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संगीत के नाम एक शाम में बाड़मेर के दादा खान और उनके समूह ने राजस्थानी लोक गीतों को गाया, वहीं अपने ट्रंपेट के साथ आमिर भियाणी ने देशभक्ति की भावना का ज्वार दर्शकों की भावनाओं में पैदा किया तो मोहम्मद रमजान ने ओल्ड इज गोल्ड का परचम फहराते हुए गीत,ग़ज़ल पेश कर दर्शकों की फरमाइशें पूरी की।
कुल मिलाकर इस शाम में खड़ताल, ट्रंपेट और पुरकशिश आवाजों के संगम से ऑनलाइन संगीत महोत्सव जैसा माहौल चूरू पुलिस के फेसबुक पेज पर देखने को मिला।
कार्यक्रम की शुरुआत और अंत में सभी कलाकारों ने चूरू एसपी तेजस्विनी गौतम औऱ फ़िल्मस्थान का आभार व्यक्त किया और देखने व सुनने वालों से गुजारिश की कि सभी लॉकडाउन के नियमों का रालन करें जिससे कोरोना को रोका जा सके।
कारगिल युद्ध की याद तो आई पी एल की सिग्नेचर धुन निकली ट्रंपेट से:
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुके ट्रंपेट प्लेयर आमिर भियाणी ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत ‘है प्रीत जहां की रीत सदा ‘ की धुन से की। इस इमोशनल धुन को देखने और सुनने वाले देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हो गए। यह देश भक्ति की भावना उस समय बलवती हो गई जब आमिर ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुन छेड़कर कारगिल युद्ध की याद दिलाई । कारगिल युद्ध के समय आमिर ने इसी धुन को सुना कर वार फंड में योगदान किया था ।उसके बाद आमिर ने अपनी सांसो में रची बसी आईपीएल की सिग्नेचर ट्यून ट्रंपेट से निकली।आमिर भियाणी ने लग जा गले फिर यह हंसी रात हो ना हो, जिंदगी की टूटे ना लड़ी, आदमी मुसाफिर है आता है जाता है जैसे गीत अपनी ट्रंपेट के जरिए प्रस्तुत किए।
केसरिया बालम आवो नी पधारो म्हारे देस रे
बाड़मेर के लंगा मांगणियार अपनी प्रस्तुति में राजस्थान का प्रसिद्ध मांड शैली में गाया गीत केसरिया बालम सुनाकर दिल जीत लिया। बाड़मेर के लंगा मांगणियार दादा खान, मुश्ताक खान और इलियास खान ने अपनी प्रस्तुति केसरिया बालम आवो नी पधारो मारे देस से की ।ढोला मारू की प्रेम कहानी से उपजा यह मनुहार गीत उस समय अत्यधिक मीठा और हो गया जब लंगा मांगणियार की हथेलियों में दबी ‘खड़ताल’ अपनी ताल रेत के धोरों से उठती आवाज के साथ मिला दी। संगीत की शाम को सुरमई बनाते हुए दादा खान और उनके साथियों ने श्रंगार रस से पगा गोरबंद,हिचकी, निबूडा निबूडा, जब देखूं बन्ना की लाल पीली अखियां ,महाराजा थारी निंदिया लागी रे और थारी बोली मीठी लागे सुनाया। दादा खान ने प्रस्तुति में उनके साथ एक प्राचीन वाद्य यंत्र कामायचा नहीं होने का कारण भी स्पष्ट किया। उन्होंने कामायचा बजाने वाले कलाकार लॉकडाउन के कारण नही आ सके, वरना खड़ताल के साथ कमायचा का संगीत भी उनके गीतों में शामिल होता।
गोल्डन इरा में ले गए रमजान
श्री डूंगरगढ़ के सन 2000 में सारेगामा विजेता मोहम्मद रमजान ने अपनी टीम के साथ अपनी प्रस्तुति चौक पुराओ, माटी रंगाओ आज मेरे पिया घर आएंगे से की ।मोहम्मद रमजान ने मेहंदी हसन की गजल ‘रंजिश ही सही’ सुनाकर रमजान ने दर्शकों की वाहवाही लूटी और फिर दर्शकों की फरमाइश का पिटारा खुल गया। मोहम्मद रमजान ने नीले गगन के तले, मोरे सैयां तो हैं परदेस, तुम आ गए हो नूर आ गया और खुशी की वो रात आ गई जैसे गीत सुनाए ।मोहम्मद रमजान ने ओल्ड इस गोल्ड का अहसास करवाते हुए हुए मोहम्मद रफी के गाए गीत एक के बाद एक एेसे प्रस्तुत किए जिसे सुन दर्शक बॉलीवुड के गोल्डन इरा में पहुंच गए। मोहम्मद रमजान ने हसीनों को बुलाया हसीनो ने बुलाया/ यह देखके दिल झूमा /आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे / यूं तो लाख हसीं देखे हैं /यह चांद सा रोशन चेहरा आदि गीत भी सुनाए।