प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों को लू से बचाव एवं उपचार की जानकारी दें
हनुमानगढ़। अत्यधिक गर्मी बढने के कारण लू-तापघात की बढ़ती सम्भावना को देखते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सा अधिकारियों, कर्मचारियों व आमजन को विशेष अहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं। सीएमएचओ डॉ. अरूण कुमार ने समस्त स्वास्थ्यकर्मी को निर्देश दिए कि वे स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपस्थिति के साथ-साथ फील्ड में भी पर्याप्त नजर रखें। सभी संस्थान आवश्यक दवाओं का वांछित स्टॉक रखें एवं प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों को लू-तापघात से बचाव एवं उपचार की जानकारी देते रहें।
डॉ. अरूण कुमार ने समस्त बीसीएमओ को गर्मी के मौसम को देखते हुए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं चाक-चैबंद करने व चिकित्सकों-मैदानी कार्यकर्ताओं को अलर्ट करनेे के सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी व सूखे मौसम में विभाग को इससे प्रभावितों को तुरंत राहत देने हेतु पूर्व तैयारियां रखें। इस क्रम में उन्होंने चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ व आशा सहयोगिनियों के माध्यम से आमजन में जागरुकता लाने व बचाव के साथ-साथ प्राथमिक उपचार सिखाने पर जोर दिया। उन्होंने लू-तापघात के रोगियों हेतु कुछ बैड आरक्षित रखते हुए वहां कूलर व शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, संस्थान में रोगी के उपचार हेतु आपातकालीन किट में ओआरएस, रिगरलेकट्रेट (आरएल) फ्लूड एवं आवश्यक दवाइयां रखने के निर्देश दिए हैं।
डॉ. अरूण कुमार ने कहा कि मौसमी बीमारियों के फैलाव का समय फील्ड में स्वास्थ्यकर्मियों के लिए परीक्षा का समय है। स्वास्थ्य केन्द्र प्रभारी से लेकर एएनएम तक सभी मुख्यालय पर शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करें तथा उल्टी-दस्त-बुखार के रोगियों पर विशेष नजर रखें। उन्होंने सभी खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रचार-प्रसार के माध्यम से जनसाधारण को लू-तापघात से बचाव एवं उपचार हेतु जानकारी अपने स्तर से समय-समय पर प्रसारित करावें। आशा-एएनएम समुदाय से उल्टी-दस्त-बुखार के रोगियों का चिन्हिकरण कर उपचार हेतु स्वास्थ्य केन्द्र भेजें।
लू-तापघात से बचाव के लिये ये सावधानियां बरतें-
महामारी नियंत्रण डॉ. सुरेश चैधरी ने लोगों से अपील की है कि जहां तक संभव हो धूप में न निकलें। अगर धूप में जाना पड़े, तो शरीर पूर्ण तरह से ढ़का हो। धूप में बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के ढीले व सूती कपड़ों का उपयोग करें। बहुत अधिक भीड़, गर्म घुटन भरे कमरों में बैठने से बचें, रेल या बस आदि की यात्रा अत्यावश्यक होने पर ही करें। खाली पेट घर से बाहर न निकलें। भोजन करके एवं पानी पीने के बाद ही घर से बाहर निकलें। ऐसे मौसम में सड़े-गले फल व बासी सब्जियों का उपयोग ना करें। गर्दन के पिछले भाग कान एवं सिर को गमछे या तौलिए से ढ़क कर ही धूप में निकलें एवं रंगीन चश्में एवं छतरी का प्रयोग करें। गर्मी मे हमेशा पानी अधिक मात्रा मे पिएं एवं नींबू पानी, नारियल पानी, ज्यूस आदि का प्रयोग करें। लू तापघात से प्रायरू कुपोषित बच्चे, वृद्ध गर्भवती महिलाएं, श्रमिक आदि शीघ्र प्रभावित हो सकते हैं। इन्हें प्रातः 10 से सायं 6 बजे तक तेज गर्मी से बचाने हेतु छायादार ठण्डे स्थान पर रहने का प्रयास करें। अकाल राहत कार्यों पर अथवा श्रमिकों के कार्यस्थल पर छाया एवं पानी का पूर्ण प्रबंध रखा जावे ताकि श्रमिक थोड़ी-थोड़ी देर में छायादार स्थानों पर विश्राम कर सके।
लू तापघात के लक्षण
डॉ. चैधरी ने बताया कि शरीर में लवण व पानी अपर्याप्त होने पर विषम गर्म वातावरण में लू-तापघात का कई लक्षणों से पता लगाया जा सकता है। यदि ऐसे में सिर का भारीपन व सिरदर्द हो, अधिक प्यास लगना व शरीर में भारीपन के साथ थकावट लगे, तो लू-तापघात हो सकता है। इसके अलावा जी मिचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान बढना (105 एफ या अधिक), पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना व त्वचा का सूखा होना, अत्यधिक प्यास का लगना, बेहोश होना या बेहोशी लगना जैसी स्थिति होने पर लू-तापघात का प्रभाव हो सकता है।
कैसे करें घरेलू उपचार
डॉ. चैधरी ने बताया कि लू-तापघात से प्रभावित रोगी को तुरंत छायादार जगह पर कपड़े ढ़ीले कर लेटा दिया जावे एवं हवा का इन्तजाम करें। रोगी को होश मे आने पर उसे ठण्डे पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्चा आम का पना दें। रोगी के शरीर का ताप कम करने के लिए यदि सम्भव हो, तो उसे ठण्डे पानी से नहलाएं या उसके शरीर पर ठण्डे पानी की पट्टियां रखकर पूरे शरीर को ढंक दें। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं, जब तक की शरीर का ताप कम नहीं हो जाता है। उक्त प्राथमिक उपचार के साथ-साथ प्रभावित मरीज को निकट स्वास्थ्य केन्द्र ले जाकर जांच करवाएं।