चूरू। शहर के प्राचीन श्रीदिगम्बर जैन मंदिर में दशलक्षण महापर्व के उपलक्ष्य में चल रहे आध्यात्मिक आयोजन के क्रम में जप आदि अनुष्ठान हुए। श्रावकों ने बताया कि दशलक्षण त्याग और तपस्या की ओर प्रेरित करता हैँ। उत्तम त्याग धर्म का अर्थ हैँ कि जो वस्तु अपनी नहीं हैं उसे स्वयं की नहीं के साथ छोड़ना त्याग कहलाता हैं। यह त्याग सम्यक दर्शन के साथ होता है। श्रीदिगम्बर जैन मंदिर के सचिव सुनील सरावगी ने बताया कि 8 सितम्बर से शुरू हुए महापर्व आयोजन के आठवें दिन मंदिर में पूजन के बाद हुए प्रवचन में सांगानेर के भईयाजी ने कहा कि दशलक्षण त्याग और तपस्या का महापर्व हैँ। इसलिए सभी श्रावकों को आध्यात्मिक आयोजन से जुड़कर मर्यादित जीवन जीने की शिक्षा लेनी चाहिए। इसी क्रम में बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। सरावगी ने बताया कि 17 सितम्बर को भगवान की पालकी निकाली जाएगी। पालकी शहर के मुख्य मार्ग से होते हुए जैन गेस्ट हाउस पहुंचेगी जहां श्रावक-श्राविकाएं पूजा अर्चना करेंगे। यहां से पालकी फिर मंदिर के लिए रवाना होगी और पूजन के साथ ही पूर्णाहुति होगी।