रतनगढ़। साहित्य कला संगम संस्थान रतनगढ़ के तत्वावधान में आयोजित मासिक काव्यगोष्ठी स्थानीय नवोदयन एकेडमी शिक्षण संस्थान में साहित्य कला संगम के अध्यक्ष वैद्य बालकृष्ण गोस्वामी की अध्यक्षता में संपन्न हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के चित्र समक्ष दीप प्रज्वलन से हुआ। दीप प्रज्वलन उपरांत पूर्व शिक्षाधिकारी कुलदीप व्यास ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। इस अवसर पर वैद्य बालकृष्ण गोस्वामी ने नगर के युवा कवि एवम कहानीकार मनोज चारण के नवप्रकाशित कहानी संग्रह माखण की समीक्षा करते हुए कहा कि, कविता लिखने से अधिक कठिन है गद्य लिखना। युवा कहानीकार मनोज चारण ने अपनी कहानियों में यथार्थ को अभिव्यक्त किया है। गोस्वामी ने कहा कि, चारण की कहानियां रुचिकर, संदेशप्रद एवम भावपूर्ण है। गोष्ठी में कवयित्री भानुप्रिया शर्मा ने अपनी कविता श्तपती गिलहरी धरती की तह पर बूंद गिरती बारिश की तो धरा महकती है। प्रस्तुत करते हुए सुनाते हुए प्रकृति संरक्षण की बात कही। प्रस्तुत की। कवि मनोज चारण ने अपनी वीर रस की कविता श्धरा, गगन और सागर तट पर, बाते होती इतिहासों की।श् प्रस्तुत की। शिक्षाधिकारी कुलदीप व्यास ने पैरोडी गीत श्रमवीर है हमारा, मजदूर सबसे प्यारा। हंस के गले लगाएं, सब दे इसे सहारा।श् सुनाकर मजदूर दिवस की बात कही। कवि अरविंद मिश्रा ने दंश देकर मनुजता को सर्प जाता है निकल। विकल जीवन हेतु मनुज क्या करे, क्या ना करे। सुनाकर को वैक्सीन की बात कही। लीलाधर पारीक ने अपनी आत्मभिव्यक्ति की कविता श्हम कितने स्मार्ट हो गए। सुनाई तो लक्ष्य पारीक ने खाटू श्यामजी पर अंग्रेजी गीत प्रस्तुत किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में वैद्य बालकृष्ण गोस्वामी ने राजस्थान के राज्य पुष्प रोहिड़ा पर गजल सुनाई श्धोरा री धरती रो है सिणगार रोहिडो। पतझड़ मै भी फूला रो उपहार रोहिड़ो। इस अवसर पर संस्था प्रधान रामचंद्र पारीक, रेणु पारीक सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। गोष्ठी का संचालन कवि मनोज चारण ने किया।
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