घांघू के शहीद राजेश फगेड़िया के शहादत दिवस पर ग्रामीणों ने दी पुष्पांजलि, किया याद
चूरू। सियाचिन ग्लेशियर में वर्ष 2011 में शहीद हुए राजेश फगेड़िया के शहादत दिवस पर शुक्रवार को उनके गांव घांघू में उनकी प्रतिमा पर सरपंच विमला देवी दर्जी सहित ग्रामीणों ने पुष्पांजलि अर्पित की और उन्हें याद किया। इस मौके पर ग्रामीण युवाओं ने ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद राजेश अमर रहे’ के नारे लगाए और राजेश से जुड़े संस्मरण साझा किए।इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता महावीर नेहरा ने कहा कि जिस तरीके से देश की आजादी के लिए लाखों ज्ञात-अज्ञात देश प्रेमियों ने अपना बलिदान दिया, उसी प्रकार देश की सरहद को सुरक्षित रखने के लिए आजादी के बाद भी जिन जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है, उन्हें आने वाली पीढ़ियां हमेशा याद रखेंगी। उन्होंने कहा कि राजेश फगेड़िया ने शून्य से 40 डिग्री नीचे तापमान में ड्यूटी करते हुए देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया, यह कल्पना ही कम्पा देती है तो राजेश के देशप्रेम से गौरवान्वित भी करती है। शहीदों का जीवन हमें देशप्रेम की प्रेरणा देता है।ग्राम सेवा सहकारी समिति के पूर्व अध्यक्ष परमेश्वर लाल दर्जी ने कहा कि देश के लिए मर मिटने वाले राजेश फगेड़िया जैसे शहीदों के दम पर ही आज हम आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम अनेक ढंग से देश की सेवा कर सकते हैं। हम देश के प्रति और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का समुचित ढंग से पालन करें और एक अच्छे नागरिक होने का दायित्व निभाएं, यह भी एक प्रकार की देश भक्ति है।सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट यूनुस खान ने कहा कि सेना में नौकरी करने वालों का जीवन बहुत कठिन और कष्टप्रद होता है परन्तु उनके उनके दिल में देशप्रेम की ऎसी लौ जलती रहती है कि वह हंसते-हंसते सारे कष्ट झेल जाते हैं लेकिन अपनी मातृभूमि की तरफ आंख उठाने वाले शत्रु को बर्दाश्त नहीं करते। उन्होंने कहा कि हम प्रेम और भाईचारे से युक्त समाज का निर्माण करें तो देश की सरहद पर खड़े नौजवानों को मजबूत कर सकते हैं और उनके बलिदान की सार्थकता भी इसी में है।शहीद राजेश फगेड़िया राउमावि के प्रधानाचार्य प्रताप कुमावत ने कहा कि सरहद की रक्षा करने वालों में चूरू और झुंझुनू क्षेत्र के जवान हमेशा अग्रणी रहे हैं। हमें ऎसे वीरों के जीवन से देशभक्ति और समाज सेवा की प्रेरणा लेनी चाहिए।इस मौके पर शहीद के पिता रामलाल फगेड़िया, वीर माता शारदा देवी, शहीद वीरांगना मधु फगेड़िया, बहन अंजु, शहीद पुत्र देवेश और मयंक, राकेश फगेड़िया, सरजीत सिंह, संजय दर्जी, प्यारेलाल फगेड़िया, बीरबल नोखवाल, बन्ने खान, युसूफ पहाड़ियान, लालचंद फगेड़िया, भागीरथ फगेड़िया, मोहीदीन खान, बल्लू खान, लिखमाराम नोखवाल, महिपाल कपूरिया, नेमीचंद जांगिड़, मुरारीलाल दर्जी, हनुमान प्रजापत, सरफराज खान, मुस्ताक खान, कमला, सुमन, सरिता, शीशराम, मुकेश, रामरख,सज्जाद, नंदलाल रेवाड़, शिशपाल फगेड़िया सहित ग्रामीणजन मौजूद थे।