केसरीसिंह बारहठ की 150वीं मनाई जयंति
चूरू । भालेरी रोड पर चारण छात्रावास में क्रांन्तिकारी केसरी सिंह बारहठ स्मृति संस्थान चूरू के द्वारा चारण छात्रावास, चूरू में केसरीसिंह जी बारहठ की 150वीं जयंति एवं केसरीसिंह बारहठ स्मृति हॉल का लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। क्रान्तिकारी केसरीसिंह बारहठ स्मृति संस्थान के अध्यक्ष रिछपाल सिंह चारण ने बताया कि कार्यक्रम की शुरूआत केसरीसिंह बारहठ के चित्र पर पुष्पाजंलि कर की गयी। समारोह की अध्यक्षता करते हुए श्रीमति निवेदिता महडू ने समाज को एकजूटता के सूत्र मे बंधने का संदेष दिया एवं स्वतंत्रता संग्राम में अपने पूरे परिवार का बलिदान देने वाले केसरीसिंह जी बारहठ के जीवन चरित्र पर उनके संस्मरण सुनाए।।
समारोह के मुख्य अतिथि रहे श्रीमान आयुदान सिंह कविया ने अपने संबोधन मे स्वतंत्रता सैनानी बारहठ के आदर्षो एवं कार्यो को अपने जीवन में उतारने पर बल दिया। उन्होंने बताया की ऐसे आयोजनो से युवाओ को प्रेरणा लेनी चाहिये। समारोह में निरंजनसिंह चारण, सडू के पूर्व सरपंच भंवरसिंह चारण, सहनूसर सरपंच कमलेश कंवर कविया, गोकुलदान चारण, जयसिंह किनिया, हिम्मतसिंह चारण, हिंगलाजदान चारण एवं सहदेवसिंह पालावत ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि साल 1903 मे जब लार्ड कर्जन द्वारा दिल्ली दरबार में सभी राजाओं के साथ मेवाड के महाराणा का जाना राजस्थान के क्रान्तिकारियों को उचित नही लग रहा था, तो उन्हे रोकने की जिम्मेदारी सब ने क्रान्तिकारी कवि केसरीसिंह को दी उस समय उन्होने प्रसिद्ध ’’चेतावनी रा चुंग्टया’’ नामक सोरठे रचे जिन्हे पढकर महाराणा अत्यधिक प्रभावित हुए और दिल्ली दरबार मे ना जाने का निश्चय किया। संस्थान के अध्यक्ष रिछपाल सिंह चारण ने बताया कि संस्थान की ओर से इस वर्ष का मनीषी समर्थदान पत्रकारिता पुरस्कार दैनिक भास्कर समाचार पत्र चूरू के ब्यूरो चीफ आषीश गौतम को शॉल ओढाकर नगद राषि एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। चारण ने बताया कि बारहठ की 150वी जयंति के अवसर पर समाज के प्रबुद्धजनों ने स्मृति भवन की भौतिक सुविधाओं के लिये सहयोग देने की घोषणा की। इस अवसर पर सुल्तानदान चारण, हरदयाल सिंह, भूपेन्द्र सिंह, नारायणदान कांगड, बद्रीदान खुडेरा, भंवरलाल कंस्वा, निवास माली, कमल वर्मा, प्रमोद कुमार शर्मा, चंपालाल शर्मा, आयोजन समिति के सदस्यों सहित आस-पास के गांवो से समाज के लोगों से कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन करणीदान चारण ने किया।