बिसाऊ में हाइटन एकेडमी की ओर से दीपावली स्नेह मिलन आयोजित

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दीपावली स्नेह मिलन में रमजान रिजवी ने गजलों, गीतों की प्रस्तुति से समां बांधा

बिसाऊ। कार्तिक मास की गुलाबी ठंड के बीच कृष्ण पक्ष को लांघकर आई शुक्ल पक्ष की पहली रात और एक से बढ़कर एक अजीम शायरों की गजलों, नज्मों को सुरों में ढालते फनकार रमजान रिजवी और तबले के राजकुमार रजत पोसला की संगत… इन सबने शनिवार की रात को बिसाऊ एवं आसपास के संगीतप्रेमियों और सुधी श्रोताओं के लिए यादगार बना दिया। अवसर था हाइटन एकेडमी की ओर से दीपावली स्नेह मिलन पर आयोजित संगीत-संध्या का।अंचल के प्रख्यात गायक रमजान रिजवी ने एक से बढ़कर एक गजलों, नज्मों और गीतों से समां बांध दिया। उनकी गायकी के जादू से बंधे श्रोता देर रात तक कार्यक्रम में जमे रहे। रमजान रिजवी ने ‘कहीं चांद राहों में खो गया, कहीं चांदनी भी भटक गई…’ गजल से अपनी प्रस्तुतियों के सफर का आगाज किया। इसके बाद उन्होंने ‘दिल वो जालिम है कि उसी शख्स पर मरता जाए’, ‘मुझे तुम नजर से गिरा तो रहे हो’, ‘नैनों में बदरा छाए…’, तू मेरी जिंदगी है…’, ‘जिंदगी से यही गिला है मुझे…’ ‘झिरमिर झिरमिर रे…’ जैसे गीतों, गजलों के जरिए अपनी आवाज का जादू बिखेरा।वाद्य कलाकार रजत पोसला ने तबले पर अपनी अंगुलियों का जादू दिखाने के साथ-साथ ‘मुहब्बत करने वाले कम न होंगे’ की दिलकश प्रस्तुति देकर दिल जीत लिया।स्थानीय गायक लोकेश ने ‘तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है…’, ‘ऐ मेरी जोहरा जबीं…’ सहित विभिन्न गीत प्रस्तुत कर दाद पाई।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. सुरेंद्र डी सोनी ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम हमारे जीवन को जीवन बनाते हैं। सभी तरह की विसंगतियों, विद्रूपताओं के बीच इस तरह की रचनात्मकता के लिए हमारे जीवन में हमेशा जगह रहनी चाहिए।विशिष्ट अतिथि कवि-लेखक कुमार अजय ने कहा कि साहित्य एवं संगीत के बिना मनुष्य का जीवन पशु के समान कहा गया है लेकिन अब पूरा जीवन और पूरी दुनिया ही यंत्रावत होती जा रही है जिसमें जीवन कहीं खोता जा रहा है। इस तरह के आयोजन उस खोते हुए को पकड़ने, रोकने की कोशिश है, जिसमें हम सभी को साथ खड़े होना चाहिए।कार्यक्रम के आरंभ में हाइटन एकेडमी के मख्दूम अहमद ने सभी का स्वागत करते हुए आयोजकीय पृष्ठभूमि से अवगत करवाया। उन्होंने तरक्की की दौड और मोबाइल की छाया के बीच नीरस होते जीवन पर चिंता जताई और कहा कि हमें सांस्कृतिक, बौद्धिक आयोजनों के जरिए जीवन को बचाने का प्रयास करना चाहिए। इस अवसर पर आयोजक संस्था की ओर से कलाकारों का सम्मान किया गया।इस दौरान वरिष्ठ राजस्थानी कवि सुरेश कुमार, साहित्यकार राजेंद्र मुसाफिर, मोहन सोनी चक्र, बाबू खां, पंकज भार्गव सहित बड़ी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।

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