चूरू में गुरुकुल परंपरा और आधुनिक शिक्षा के संगम का प्रतीक — राजेन्द्र राठौड़

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वैदिक संस्कृति और शिक्षा के संरक्षण में मील का पत्थर: धर्मसंघ गुरुकुल विद्यालय के नए भवन का लोकार्पण,धार्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों और वेद-अनुरागियों की विशेष उपस्थिति

चूरू। धर्म संघ विश्वविद्यालय धर्मार्थ न्यास द्वारा बुधवार को चूरू जिले में स्थित झारिया मोरी के पास निर्मित गुरुकुल विद्यालय के नए भवन का लोकार्पण और मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह बड़ी धूमधाम से संपन्न हुआ। इस ऐतिहासिक अवसर पर चूरू और आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में वैदिक धर्मानुयायी, जनप्रतिनिधि, वेद-अनुरागी और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। हिमाचल प्रदेश से पधारे योगीराज अमर ज्योति महाराज के सान्निध्य में आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वैदिक शिक्षा और संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार को प्रोत्साहन देना था।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने चूरू की ऐतिहासिक भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस धरती ने हमेशा धर्म और संस्कृति की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि चूरू को सदियों से उसकी सांस्कृतिक धरोहर के कारण विशेष स्थान प्राप्त है और यहां वैदिक शिक्षा का पोषण करने वाले गुरुकुल की स्थापना इस दिशा में मील का पत्थर साबित हुई है।राठौड़ ने अपने भाषण में धर्मसंघ गुरुकुल विद्यालय की स्थापना और इसके विकास में ब्रह्मलीन स्वामी शिवानंद सरस्वती की प्रेरणा, स्व. भागीरथ प्रसाद मरदा, स्व. रामनारायण टावरी और उनके परिवार के योगदान का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि इस विद्यालय ने 1972 से वैदिक शिक्षा और संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और अब नए भवन के निर्माण से इस दिशा में और अधिक उन्नति होगी। उन्होंने इस विद्यालय को आधुनिक सुविधाओं से लैस एक उत्कृष्ट शिक्षा केंद्र बताया, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए अनुकरणीय है।
इस अवसर पर विधायक हरलाल सहारण ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए मरदा परिवार के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि चूरू को उसकी धार्मिकता के कारण छोटी काशी कहा जाता है और इस तरह के प्रकल्प इस पहचान को और भी मजबूत करते हैं। उन्होंने कहा कि वैदिक शिक्षा और संस्कृति का संरक्षण आज के समय में अत्यंत आवश्यक है और गुरुकुल प्रणाली इसे सजीव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।उन्होंने कहा कि चूरू की धरती हमेशा से वैदिक परंपराओं और संस्कृति के पोषण में अग्रणी रही है। धर्मसंघ गुरुकुल विद्यालय का यह नया भवन न केवल वैदिक शिक्षा के लिए एक केंद्र बनेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को संस्कृति और धर्म से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
गंगानगर विधायक जयदीप बियाणी ने धर्मसंघ गुरुकुल की स्थापना के पीछे की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरुकुल प्रणाली सनातन धर्म को जीवंत रखने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि यह विद्यालय गुरुकुल परंपरा और आधुनिक शिक्षा का अद्भुत सम्मिश्रण है, जो छात्रों को वैदिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान भी प्रदान करता है। उन्होंने नए भवन की उत्कृष्ट संरचना की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आदर्श स्थान है।
कार्यक्रम में आशीर्वचन देते हुए योगीराज अमर ज्योति महाराज ने कहा कि यदि हमारी सोच और कर्म सही दिशा में हों, तो हम जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने इस विद्यालय के योगदान और महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे धर्म और शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया।
धर्म संघ विश्वविद्यालय धर्मार्थ न्यास के अध्यक्ष रमेश मरदा ने इस अवसर पर विद्यालय की स्थापना की कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि स्वामी शिवानंद सरस्वती की प्रेरणा से 1972 में इस गुरुकुल की स्थापना की गई थी और तब से यह वैदिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि नए भवन का निर्माण शिक्षा प्रेमियों और दानदाताओं के सहयोग से किया गया है, बिना किसी सरकारी सहायता के। नए भवन में छात्रों के अध्ययन और आवास के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।उन्होंने बताया कि नवीन भवन में तल मंजिल पर लगभग 9000 वर्ग फीट में 6 अध्ययन कक्ष, स्वागत कक्ष, आचार्य कक्ष, शिक्षक कक्ष, प्रशासन कक्ष, हवन कक्ष, योग कक्ष, कम्प्यूटर कक्ष, रसोई घर, भोजनालय, और क्रीड़ा कक्ष बनाए गए हैं। प्रथम मंजिल पर लगभग 6000 वर्ग फीट में 100 विद्यार्थियों के लिए आवास स्थान, प्रबंधक कक्ष और पुस्तकालय की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही 2500 वर्ग फीट में मंदिर और आध्यात्मिक कक्ष का निर्माण किया गया है। छात्रों के शारीरिक विकास के लिए लगभग 13000 वर्ग फीट का खुला खेल मैदान भी बनाया गया है।
न्यास के मंत्री अभिषेक टावरी ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि यह विद्यालय पिछले 50 वर्षों से शिक्षा प्रेमियों और दानदाताओं के सहयोग से संचालित हो रहा है। यहां छात्रों को निःशुल्क आवास, वस्त्र और भोजन के साथ-साथ आचार्य तक की शिक्षा दी जाती है। इस दौरान उन्होंने विद्यालय और नवीन भवन निर्माण में योगदान देने वाले आर्किटेक्ट और अन्य व्यक्तियों का सम्मान भी किया।
कार्यक्रम में न्यास के कोषाध्यक्ष जगदीश सराफ, प्राचार्य परमानंद पांडे, ट्रस्टी चंदनमल सारस्वत, एडवोकेट अरविंद शर्मा, प्रियंक ओमप्रकाश मरदा भी मंचस्थ रहे।उप जिला प्रमुख महेंद्र न्यौल, भाजपा जिलाध्यक्ष बसंत शर्मा, प्रदेश महामंत्री वासुदेव चावला, हेमसिंह शेखावत, सालासर बालाजी मंदिर के पुजारी सूर्य प्रकाश, एडीपीआर कुमार अजय, अभिभाषक संघ अध्यक्ष नरेंद्र सैनी, उम्मेद सिंह चौहान, गजेंद्र खत्री, रामचंद्र राजोतिया, आर्किटेक्ट अनुराग शर्मा, सुनील भाऊवाला, वरिष्ठ विधि अधिकारी महेंद्र सैनी,दिनेश शर्मा, राजेश माटोलिया, विष्णु शर्मा सहित बडी संख्या में वैदिक धर्मानुयायी, जनप्रतिनिधि, वेद-विद्यार्थी एवं गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

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