आंतरिक परिवाद समिति का गठन न करने पर 50 हजार तक का जुर्माना

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महिला अधिकारिता विभाग की ओर से कार्यस्थलों पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न को लेकर हुई कार्यशाला, वक्ताओं ने कहा- महिलाओं को कार्यस्थलों पर मिले उत्पीड़नमुक्त बेहतर वातावरण

चूरू। जिला कलक्टर पुष्पा सत्यानी के निर्देशानुसार बुधवार को महिला अधिकारिता विभाग की ओर से जिला परिषद सभागार में कार्यस्थलों पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए सीईओ मोहन लाल खटनावलिया ने बताया कि कार्यस्थलों पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न एक अत्यंत संवेदनशील बिंदु है, जिसे हमारे द्वारा बेहद गंभीरता के साथ ट्रीट किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार प्रत्येक कार्यालय में विशाखा गाइडलाइन अनुसार आंतरिक परिवाद कमेटियों का गठन किया जाना आवश्यक है। सभी कार्यालयों में इसका नियमानुसार गठन किया जाए। यदि किसी नियोक्ता, संस्था प्रधान द्वारा इसका गठन नहीं किया जाता है तो इसके लिए 50 हजार रुपए तक का जुर्माना किया जा सकता है। उन्होंने सभी विभागीय अधिकारियों से कमेटी गठन संबंधी बातचीत की और उन्हें आवश्यक जानकारी देते हुए बताया कि निजी ठेकेदार आदि पर भी इसके नियम लागू होते हैं। उनके द्वारा भी आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जाना जरूरी है। इस दौरान उन्होंने महिला एवं बाल कल्याण से संबंधित योजनाओं की भी जानकारी दी। एसीईओ दुर्गा देवी ढाका ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट एवं सरकार की मंशा के अनुसार सभी कार्यालयों में समितियों का गठन तो होना ही चाहिए, साथ ही हमें महिलाओं की गरिमा और कार्यस्थलों पर मर्यादा को लेकर अधिक जिम्मेदार होना होगा। बतौर विशेषज्ञ सिविल राइट सोसायटी के रामेश्वर प्रजापति रामसरा ने विभिन्न प्रावधानों की जानकारी दी और बताया कि कानून के साथ-साथ व्यवहार में बदलाव भी बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न को रोककर, महिलाओं के कार्यस्थल पर सुरक्षित, गरिमापूर्ण, उत्पीड़नमुक्त संरक्षित वातावरण उपलब्ध करवाने के लिए महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 अधिनियमित किया गया है। एडवोकेट सुमेर सिंह ने कहा कि कानून के साथ-साथ हमारी मानसिकता में बदलाव अत्यंत जरूरी है। तभी हम महिलाओं को एक सहज एवं सुरक्षित वातावरण मुहैया करा सकते हैं। महिला अधिकारिता विभाग के कार्यवाहक उपनिदेशक जयप्रकाश ने आंतरिक परिवाद समिति के गठन और सदस्यों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि समिति सेवा नियमों के तहत नियमानुसार कार्यवाही की सिफारिश कर सकती है। इस दौरान कोषाधिकारी प्रवीण कुमार सिंघल, सीडीईओ जगवीर सिंह, पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ ओमप्रकाश, एडीपीआर कुमार अजय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक नगेंद्र सिंह राठौड़, डॉ रेणु अग्रवाल, एसोसिएट प्रोफेसर संतोष बलाई, आरएफओ दीपचंद यादव, दशरथ कुमार सैन, आयुर्वेद के सहायक निदेशक सत्यवीर सिंह, डॉ कपिल वर्मा, अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अनीश खान, एडीईओ नारायण कुमार, ब्लॉक सुपरवाइजर कृष्णा, महिला पर्यवेक्षक ज्योति वर्मा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारीगण मौजूद रहे।

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