प्रेक्षा-एक आशा’ ने निशुल्क वितरित किए 51 खेलियां और 51 परिंडे

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बेजुबानों के लिए उम्मीद बनी संस्था ने लिया फैसला, प्रत्येक वर्ष ग्रीष्म ऋतु में करेंगे खेली और परिंडे वितरण

हनुमानगढ़। जेठ महीने की आहट और तापमान 47 डिग्री से ऊपर होने के बीच सूर्य देव रौद्र रूप धारण करने लगे हैं। तपिश में पेड़-पौधे और जीव-जंतु तक झुलसते हुए दिखाई देने लगे हैं। बेजुबान पशुओं को इधर से उधर भटकते हुए देखा जाने लगा है। इन पशु-पक्षियों के लिए ‘प्रेक्षा-एक आशा’ नामक एनजीओ उम्मीद बनकर आया है। ‘प्रेक्षा-एक आशा’ नामक संस्था की टीम जिला मुख्यालय स्थित सिविल लाइंस, कलेक्ट्रेट चौराहा, लाल चौक, गांधी नगर, धान मंडी, सेक्टर 6, चुना फाटक, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी आदि जगह-जगह खेली व परिंडे रखने का अभियान चला रही है। सामाजिक संस्था ‘प्रेक्षा-एक आशा’ लगातार जिला मुख्यालय पर निराश्रित गोवंश और पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था के लिए खेली परिंडा घर-घर रखने का अभियान चला रखा है। ‘प्रेक्षा-एक आशा’ के सदस्य आपसी जन सहयोग से जिला मुख्यालय पर पशु पक्षियों के लिए खेली और परिंडे लगा रहा है। खेली रखने के कार्यक्रम का शुभारंभ गत दिनों पत्रकार कॉलोनी स्थित वरिष्ठ पत्रकार गोपाल झा, अनिल जान्दू, अदरीस खान, राकेश सहारण, गुरविंद्र शर्मा, पुरुषोत्तम झा द्वारा किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार गोपाल झा ने कहा कि पशु पक्षी सृष्टि का अभिन्न अंग हैं। इनके बिना सृष्टि की कल्पना ही संभव नहीं है। पर्यावरण संरक्षण और पृथ्वी के समुचित विकास में प्राणी के साथ-साथ पशु पक्षियों की भी अहम भूमिका है। भीषण गर्मी में पशु पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था पुण्य कार्य है। उपस्थित अन्य सभी वक्ताओं ने भी ‘प्रेक्षा-एक आशा’ के सामाजिक सरोकारों की सराहना की। प्रेक्षा के संस्थापक शुभम रेवाड़ ने बताया कि ‘जयपुर में पढ़ाई के दौरान हमारे भीतर सेवा की ललक जगी तो हमने इस संस्था का पंजीयन करवाया। पढ़ाई करके हनुमानगढ़ लौटा तो सेवा की भावना मन को उद्वेलित करने लगी। कुछ दोस्तो से चर्चा की तो उन्होंने न केवल समर्थन किया बल्कि संस्था के साथ ही हो लिए।’ प्रमोद रेवाड़ कहते हैं, ‘सवाल यह था कि सेवा का स्वरूप क्या हो ? अचानक देखा कि सिविल लाइंस क्षेत्र सहित शहर में निराश्रित पशु इधर से उधर भटक रहे हैं। तेज गर्मी में उनके लिए पीने का पानी तक नहीं है। हमने निर्णय किया कि सबसे पहले इन पशुओं और पक्षियों को गर्मी से राहत दिलाएंगे। हमने सर्वप्रथम 51 खेलियां व 51 परिण्डे लोकर वितरित करने का निर्णय किया।’ ‘प्रेक्षा’ से जुड़े अक्षय लेघा, राहुल खिलेरी, जसमीत बराड़ व दुष्यंत बराड़ बताते हैं कि हमने किसी से आर्थिक सहयोग लेने के बजाय आपस में हिस्सा तय कर लिया। सभी सदस्यों ने आमदनी का दसवां हिस्सा ‘प्रेक्षा’ के सेवा कार्यों में लगाने का निर्णय किया है। ‘प्रेक्षा’ से जुड़े रोहित चाहर, सुधीर बिश्नोई, प्रकाश शर्मा, लोकेंद्र सिंह और अभिषेक चाहर के मुताबिक, खेली और परिंडे के बाद आने वाले समय में हम 51 कुण्डाल रखने का कार्यक्रम बना रहे हैं। हमने देखा है कि लोग अक्सर कुत्तों व पशुओं के लिए घर के आगे जमीन पर खाना छोड़ देते हैं। इससे खाना मिट्टी में मिल जाता है और पशु भी नहीं खाते। इसलिए उनके लिए पात्र रखवाया जाएगा जिसमें लोग पशुओं के लिए भोजन रख सकेंगे। प्रेक्षा के संस्थापक शुभम रेवाड़ के मुताबिक, सावन के महीने में ज्यादा से ज्यादा पौधरोपण पर फोकस किया जाएगा ताकि सिविल लाइंस क्षेत्र हरा-भरा और सुंदर दिखे। चूंकि सिविल लाइंस में पार्कों की संख्या पर्याप्त है, इसलिए उनमें औषधीय पौधे लगाने पर जोर दिया जाएगा ताकि लोगों को जरूरत पड़ने पर उसका लाभ मिले। इसकी पहल करते हुए एफ ब्लॉक के नवनिर्मित पार्क में संस्था द्वारा एलोवेरा जैसे औषधीय पौधे भी लगाए गए। युवा वर्ग की इस तरह की पहल की हर कोई सराहना कर रहा है। सिविल लाइंस नागरिक, पुलिस विभाग से जुड़े सुभाष मांझू और कृष्ण भांभू कहते हैं, ‘प्रेक्षा की टीम सराहनीय कार्य कर रही है। हम सबका दायित्व है कि ऐसे युवाओं का समर्थन करें ताकि इनका उत्साहवर्द्धन हो और बाकी युवा भी इनसे प्रेरणा ले सकें। उनके मुताबिक, अगर युवा इस सोच के साथ आगे बढ़ेंगे तो यकीनन समाज तरक्की करेगा।

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