चूरू। पिछले 30 वर्षों से प्रतिमाह के पहले मंगलवार को लगने वाला निःशुल्क मिर्गी निदान शिविर आज रतननगर जिला चुरू में सम्पन्न हुआ । त्रिवेणी देवी सुरेका चेरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में यह 351वाँ कैम्प सम्पन्न हुआ। इस कैम्प में 520 मरीजो के इलाज कर पूरे माह की दवाई निःशुल्क वितरित की गई। कैम्प के मुख्य न्यूरोफिजिशयन डॉ. आर. के. सुरेका ने बताया कि नवम्बर माह को एपिलेप्सी जागरूकता महिने के रूप में मनाया जाता है और 17 नवम्बर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय मिर्गी दिवस के उपलक्ष में आज मिर्गी रोगियों के लिए एक पेन्टिंग कम्पीटीशन का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम तीन आने वाले प्रतियोगियों को इनाम दिए गए। डॉ० सुरेका ने बताया कि इस बार की थीम मिर्गी रोग के लिए प्रचलित भ्रांतियों को दूर करना है। उन्होने बताया कि मिर्गी रोगियों को दौरा आने पर रोगी को जूता सुधांते है, प्याज सुंघाते, कई-कई बार तो उनकी पूजा भी करने लगते है। ये सब भ्रांति हैं । तथ्य यह है कि मिर्गी रोग का इलाज जूता सुंघाने या प्याज सुधांने से नही होता है बल्कि दौरा पड़ने पर मरीज को टेडा करके लिटा दे व मुंह से झाग साफ कर दे और मुंह में पानी नही डालना चाहिए ना ही कपड़ा ठूसना चाहिए। जबकि मरीज कुछ समय में अपने आप सही हो जाता है। इस तरीके से ये भ्रांति भी है कि मिर्गी रोग छूत की बीमारी है एवं साथ खाना खाने से या साथ रहने से दूसरे आदमी को भी लग सकती है। जबकि तथ्य यह है कि ये छूत की बीमारी नही है मिर्गी रोगी साथ में रह सकते है। यह भ्रांति भी है कि मिर्गी रोग अनुवांशिक द्य है और मिर्गी रोगी शादी नही कर सकता व बच्चे पैदा नहीं कर सकता है। जबकि तथ्य यह है कि मिर्गी रोगी अन्य आदमियो की तरह शादी भी कर सकता है और बच्चे भी पैदा कर सकता है। इस अवसर पर मिर्गी रोग के रोकथाम के लिए एक रैली भी निकाली गयी। इस कैम्प में डॉ. रोहित सुरेका, डॉ. रक्षित सुरेका, डॉ. जयसिंह, डॉ. सरीन, डॉ. गौरी, ताजू खान आदि ने सहयोग दिया।