बालकों को संरक्षण के लिए पारिवारिक माहौल प्रदान देना प्रशासन का उद्देश्य

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जिला बाल संरक्षण इकाई की बैठक आयोजित, मिशन वात्सल्य योजना, किशोर न्याय देखभाल एवं संरक्षण सहित बाल संरक्षण से संबंधित बिंदुओं पर हुई चर्चा

चूरू । जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग के निर्देशाानुसार एडीएम लोकश गौतम की अध्यक्षता में मंगलवार को जिला कलक्ट्रेट सभागार में बाल संरक्षण इकाई की त्रैमासिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जयसिंह तंवर ने कहा कि विभिन्न प्रकरणों में बच्चों के अधिकारों की रक्षा करते हुए बाल संरक्षण के साथ उन्हें पारिवारिक माहौल प्रदान करना प्रशासन का उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि बाल संरक्षण की दिशा में नवाचार करते हुए जिले के कॉलेजों, पार्कों व स्कूलों में प्रशासन द्वारा आत्मरक्षा प्रशिक्षण के साथ ‘‘गुड टच- बैड टच‘‘ के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। साथ ही बालश्रम, बाल अधिकार और ट्रैफिक नियमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए टीम गठित कर पुलिस पब्लिक मीटिंग का आयोजन किया जा रहा है।

इस दौरान बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक प्रमोद सिंह शेखावत ने कहा कि हमारा अधिकतम प्रयास है कि बच्चों को सुरक्षित माहौल मिले। बाल श्रम, बाल विवाह, बाल तस्करी के विभिन्न प्रकरणों में बच्चों को संरक्षण प्रदान कर उनका पुनर्वास किया जाए।

इस दौरान उन्होंने बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रकरणों एवं बाल कल्याण समिति के कार्यों, किशोर न्याय बोर्ड में दर्ज प्रकरणों एवं बोर्ड के कार्यों, पॉक्सो एक्ट में दर्ज प्रकरणों एवं बाल मित्र योजना, राजकीय गृहों में आवासित बच्चों के लिए व्यवस्थाओं, विशेष किशोर पुलिस इकाई एवं बाल कल्याण पुलिस अधिकारी के कार्यों, चाईल्ड हेल्प लाइन 1098 निःशुल्क सेवा, राजकीय एवं गैर राजकीय विद्याालयों में चाइल्ड राइट क्लब की स्थापना, बाल विवाह, बाल तस्करी, बाल श्रम की रोकथाम एवं बाल श्रमिकों के पुनर्वास, बच्चों के पोषण एवं स्वास्थ्य, पीएम केयर फॉर चिल्ड्रन योजना, ज्वाइंट एक्शन प्लान ‘‘एक युद्ध नशे के विरूद्ध‘‘ सहित बिंदुओं की समीक्षा कर सुझाव मांगे।
सहायक निदेशक शेखावत ने बताया कि विभाग द्वारा देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक-बालिकाओं के लिए संस्थागत संरक्षण के अतिरिक्त वैकल्पिक रूप से ‘‘व्यक्तिगत पालन पोषण देखरेख (इंडिविजुअल फोस्टर केयर)’’ कार्यक्रम संचालित है, जिसमें 18 वर्ष तक की आयु के देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चाें को स्थाई पारिवारिक देखरेख (दतक ग्रहण नहीं) में रखा जाता है। उन्होंने अधिकाधिक जागरूकता के माध्यम से इच्छुक व्यक्तियों से कार्यक्रम में आवेदन का आग्रह किया।
इस दौरान महिला अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक संजय महला, डीईओ माध्यमिक निसार अहमद खान, राजेश कुमार, किशोर न्याय बोर्ड सदस्य ताराचंद सैनी, किशोर न्याय बोर्ड सदस्य लक्ष्मी चौहान, एपीआरओ मनीष कुमार, मानव तस्करी विरोधी इकाई प्रभारी मोहम्मद शमशाद, चाईल्ड हेल्पलाइन से पन्ने सिंह, बाल कल्याण समिति के मनीराम, सहायक प्रशासनिक अधिकारी रामनिवास भुंवाल, कपिल भाटी, रूकैया सहित अन्य उपस्थित रहे।

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