सुजानगढ़ के डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा को मिलेगा डॉ. नारायण सिंह भाटी अनुवाद सम्मान
सुजानगढ़ । राजस्थानी के जाने-माने लघुकथाकार एवं अनुवादक सुजानगढ़ के डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा (सुजानगढ़) को उनके समग्र अनुवाद कर्म पर ‘‘डॉ. नारायणसिंह भाटी अनुवाद सम्मान’’ दिये जाने की गुरूवार को घोषणा हुई है।
कथा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थान,जोधपुर (पंजीकृत) द्वारा प्रदत्त राज्य स्तरीय कथा अलंकरण श्रृंखला के अन्तर्गत वर्ष 2023-24 में हिन्दी, राजस्थानी, उर्दू एवं असमिया भाषाओं के दस साहित्यकारों, एक सामाजिक कार्यकर्ता, तीन साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादकों एवं दो पत्रकारों को अलंकृत किया जाएगा। कथा संस्थान के सचिव व साहित्यकार मीठेश निर्मोही ने बताया कि संस्थान सुजानगढ़ के अध्यक्ष प्रोफेसर जहूर खां मेहर और उन्होंने संयुक्त रूप से यह घोषणा की । कथा संस्थान सचिव मीठेश निर्मोही के मुताबिक डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा के समग्र अनुवाद कर्म पर यह सम्मान कथा समारोह में प्रदान किया जाएगा।
डॉ घनश्याम नाथ कच्छावा ने साहित्य अकादेमी के द्वारा असमिया उपन्यास अघरि आत्मर कहिनी का राजस्थानी में घरबायरौ और आधुनिक भारतीय कविता संचय सिंधी कविताओं का राजस्थानी में अनुवाद किया है। घरबायरौ पर भारत सरकार की साहित्य अकादेमी पर इन्हें वर्ष 2020 का राजस्थानी में साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार भी मिला है। वर्तमान में डाॅ. घनश्याम नाथ कच्छावा राजस्थानी भाषा,साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के सदस्य हैं। डॉ घनश्याम नाथ को यह सम्मान मिलने पर स्थानीय रचनाकारों ने हर्ष व्यक्त किया है।