डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा की पुस्तक “जीने दो धरती पर “को बुक आफ द ईयर सम्मान

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सुजानगढ़। साहित्यकार डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा के हिन्दी कविता संग्रह ” जीने दो धरती पर ” को हिन्दी भाषा के लिए श्री जागृति बुक आफ द ईयर सम्मान घोषित हुआ हैं। जोधपुर की रचनात्मक संस्था श्री जागृति संस्थान ने विगत दिवस अपने स्थापना दिवस पर इसकी घोषणा की। निर्णायक मंडल में संस्थान के अध्यक्ष दिलीप पुरोहित, उपाध्यक्ष उत्तम कुलरिया, सचिव पंकज जाँगिड़, सह सचिव विनीता नागौरा, कोषाध्यक्ष राखी पुरोहित, दिलीप केसानी और प्रजापत ‘प्रीत’ शामिल रहे। ज्ञातव्य है कि डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा की पुस्तक ‘ जीने दो धरती पर ‘ में उनकी इक्यावन कविताएँ शामिल हैं। पुस्तक पर आशीर्वचन आर्ट आॅफ लिविंग के प्रणेता महान संत श्रीश्री रविशंकर ने लिखे हैं और भूमिका प्रसिद्ध कवि -आलोचक डॉ. आईदानसिंह भाटी ने लिखी हैं। राजस्थान साहित्य अकादमी , उदयपुर के प्रकाशन सहयोग से रॉयल पब्लिकेशन, जोधपुर द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक के फ्लेप पर सुप्रसिद्ध कवि सत्यदेव संवितेंद्र और वरिष्ठ लेखक ओमप्रकाश भाटिया, जैसलमेर ने लिखा हैं।श्री जागृति बुक आॅफ द ईयर में चयनित होने पर डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा को बधाई देते हुए साहित्यिक जगत ने हर्ष व्यक्त किया हैं।डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा की अब तक प्रकाशित कृतियों में ठूँठ(राजस्थानी लघुकथा संग्रह), मेरी इक्यावन लघुकथाएँ (हिन्दी), जीवण रा चितराम(राजस्थानी कविता), माँ-बाप (राजस्थानी हाइकु ), जीने दो धरती पर (हिन्दी काव्य) , घरबायरौ (राजस्थानी अनुवाद ) , भारतीय साहित्य रा निर्माता- कन्हैया लाल सेठिया ” (विनिबंध ) आधुनिक भारतीय कविता संचयन सिंधी (राजस्थानी अनुवाद ), अटकळ (राजस्थानी लघुकथा संग्रह )प्रमुख हैं

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