विधि प्रवक्ता स्व. महावीर सिंह यादव ‘गुरुजी’ के जन्मदिन पर सिविल लाइंस में जुटे विधि विशेषज्ञों ने दी पुष्पांजलि, विधि क्षेत्र में कैरियर पर हुई गोष्ठी, वक्ताओं ने कहा- विधि शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए सदैव याद किए जाएंगे गुरुजी, किताबी ज्ञान से ऊपर उठकर विद्यार्थियों के संपूर्ण व्यक्तित्व को उभारा ‘गुरुजी’ ने, चूरू के लिए वरदान साबित हुई गुरुजी की सेवाएं
चूरू। लोहिया कॉलेज में विधि प्रवक्ता रहे ‘गुरुजी’ के नाम से मशहूर स्व. प्रो. महावीर सिंह यादव के जन्मदिन पर शनिवार को यहां सिविल लाइंस में हुए कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जुटे विधि क्षेत्र के लोगों ने उन्हें याद किया और विधि शिक्षण के क्षेत्र में उनके जबरदस्त योगदान की सराहना की। इस मौके पर विधि सत्संग संस्था की ओर से विधि क्षेत्र में कैरियर की संभावनाओं पर आयोजित गोष्ठी में विधि अध्ययन से जुड़े विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया गया।
इस मौके पर अपने अनुभव और संस्मरण साझा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि गुरुजी ने किताबी ज्ञान से बहुत आगे बढकर विद्यार्थियों के संपूर्ण व्यक्तित्व के उभार पर सदैव ध्यान दिया और उनकी यह कोशिश रही कि विद्यार्थी व्यावहारिक जीवन में संघर्षों व कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम बने। पूर्व सभापति गोविंद महनसरिया ने कहा कि प्रो. यादव की सेवाएं चूरू क्षेत्र के लोगों के लिए वरदान साबित हुई, जिससे चूरू के युवाओं को विधि एवं न्यायिक क्षेत्र में जाने के लिए अनुकूल माहौल मुहैया करवाया।न्यायिक मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर पारीक ने कहा कि संस्था गुरुदेव के स्वप्न को आगे बढाते हुए कर्मठ एवं ईमानदार न्यायिक अधिकारी, विधि अधिकारी तैयार कर रही है। एक बेहतर समाज की रचना, जिसमें लोगों के न्याय सुलभ हो, हम सभी का ध्येय होना चाहिए।
वरिष्ठ विधि अधिकारी महेंद्र सैनी ने कहा कि चूरू के युवाओं ने गुरुजी के स्वप्न को साकार करने में खूब योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि विधि के क्षेत्र में व्यक्ति को न केवल रोजगार मिलता है, अपितु एक सम्मानजनक कैरियर बनता है, जिससे सारा परिवेश गौरवान्वित होता है।
साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित राजस्थानी के वरिष्ठ लेखक भंवर सिंह सामौर ने गुरुजी के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि यह सराहनीय बात है कि यादव के शिष्य उनके संकल्प को आगे बढ़ा रहे हैं।
स्टेट बार कौंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता रोशन सिंह राठौड़ ने कहा कि विधि के क्षेत्र में चूरू की प्रतिभाओं को इस प्रकार आगे बढते हुए देखते हैं तो गुरुजी से अपरिचित व्यक्ति के मन में भी अनायास ही उनके प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो जाती है। सहायक निदेशक (जनसंपर्क) कुमार अजय ने कहा कि गुरुजी के चमत्कारिक व्यक्तित्व ने चूरू के युवाओं में विधि क्षेत्र के प्रति जागरुकता पैदा की और आज उसी के परिणाम स्वरूप विधि सेवा के क्षेत्र में चूरू उभर कर सामने आ रहा है। गुरुजी ने अपने शिष्यों को जीने की कला सिखाई और गुरुजी के मागदर्शन से उन्हें भरपूर सफलता मिली। वे बातों-बातों में अपने शिष्यों को सरलता के साथ इतने गंभीर विषय समझा देते थे कि विद्यार्थी ताजिंदगी उन बातों को नहीं भूल सकता। गुरुजी दुर्लभ व्यक्तित्व के धनी थे, जिनसे मिलकर विद्यार्थियों की सारी चिंता दूर हो जाती थी।
युवा अधिवक्ता अभिषेक टावरी ने कहा कि यादवजी के पास बैठकर युवाओं को एक सुरक्षा-सी महसूस होती थी, जो उनके सशक्त मनोविज्ञानी होने का प्रतीक था। राजगढ के युवा अधिवक्ता पुष्पकांत शर्मा ने कहा कि गुरुजी अपने विद्यार्थियों से इतना प्यार करते थे कि उनके हितों के लिए आग में भी कूदने के लिए तैयार हो जाते थे। शरतचंद्र शर्मा, आरजेएस नारायण प्रसाद, आरजेएस जया सैनी, आरजेएस नेहा सैनी, आरजेएस ऊषा प्रजापत आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। गीता सामौर ने गुरु वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की। इससे पूर्व अतिथियों ने गुरुजी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया। गुरुजी से जुड़े रहे उनके शिष्यों, प्रशंसकों ने उनसे जुड़े संस्मरण साझा किए।
इस दौरान बजरंग लाल पारीक, आरजेएस अमरजीत कुल्हरी, आरजेएस हुक्मीचंद गहनोलिया, आरजेएस सुरेश कुमार, आरजेएस अविनाश चांगल, विवेक सोनी, डीएलआर शुभकरण, डीएलआर महेश चंद्र यादव, डीएलआर दातार सिंह, एएलआर धर्मपाल शर्मा, विधि अधिकारी दलीप दीक्षित, अनुभव यादव, अयूब खान, प्रियंका स्वामी, व्याख्याता सुरेश नायक, आरती सामौर, भवानीशंकर शर्मा,डॉ. मनोज शर्मा योगाचार्य, अनिल सैनी, श्रीराम सैनी, देवेंद्र महलाना, अख्तर रसूल, राजेश माटोलिया, पंकज सिंह, नरेंद्र लांबा, भरत सिंह राठौड़, पंकज सिंह, देवेंद्र शर्मा, बलबीर सैनी, हुसैन खान, एडवोकेट युनुस खा, अभय नेहरा सहित बड़ी संख्या में विधि क्षेत्र से जुडे लोग एवं गणमान्य नागरिक मौजूद थे।