चूरू। दफ्तरों के चक्कर लगाना और प्रक्रियाओं की जटिलता में अपने काम करवाना कई बार सामान्य लोगों के लिए भी झुंझलाने
पर मजबूर कर देता है तो गरीबी, बीमारी या निःशक्तता झेल रहे लोगों के लिए यह और भी मुश्किल हो जाता है। राज्य सरकार की विशेष पहल पर चल रहा प्रशासन गांवों के संग अभियान ऎसे लोगों के लिए सचमुच किसी वरदान से कम नहीं हैं। चूरू पंचायत समिति के गांव घांघू के मोहम्मद आबिद ऎसे ही एक शख्स हैं, जिनके लिए पिछले दिनों ग्राम पंचायत मुख्यालय पर लगा शिविर सचमुच राहत बनकर आया। 32 वर्षीय आबिद के पिता की मृत्यु तो पहले ही हो चुकी थी, लेकिन पिछला वर्ष उसके लिए कहर बनकर आया। अचानक हुई बीमारी से आबिद के दिमाग की नसें बंद हो गईं जिसके चलते उसके लिए चलना फिरना तो दूर, खड़े हो पाना भी मुश्किल हो गया। साथ ही वह हृदय रोग से भी पीड़ित हो गया। जयपुर में इलाज चला पर कोई ज्यादा सुधार नही हुआ। दिव्यांग हुए आबिद को अपने रोजमर्रा के कार्यों के लिए भी परिजनों की मदद लेनी पड़ती है। आबिद के परिजनों को जब ग्राम पंचायत घांघू में प्रशासन गांवों के संग शिविर का पता चला तो परिजन उसे कैम्प में लेकर आए। सीएचसी प्रभारी डॉ अहसान गौरी ने तत्परता दिखाते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से मौके पर ही दिव्यांग प्रमाण बनाकर दिया। सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग ने पेंशन का आवेदन लिया और साथ ही आबिद को ट्राईसाईकल प्रदान की। परिवार की माली हालत को देखते हुए ग्राम पंचायत घांघू ने आबिद की माता जुबैदा से पट्टे के लिए आवेदन करवाया और कैम्प में जब सीईओ रामनिवास जाट, शिविर प्रभारी एसडीएम अभिषेक खन्ना, पूर्व प्रधान रणजीत सातड़ा और सरपंच विमला देवी ने उसे पट्टा प्रदान किया तो उसके चेहरे पर तसल्ली और राज्य सरकार के लिए कृतज्ञता दिखाई दी। इस तरह शिविर में आबिद को एक साथ चार लाभ मिले।
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