साहित्य समीक्षा और आलोचना के महिला रचनाकार आगे आये- मधु आचार्य आशावादी

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दो दिवसीय राजस्थानी महिला लेखन सम्मिलन का समापन

सालासर। साहित्य अकादेमी नई दिल्ली और मरूदेश संस्थान, सुजानगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में सालासर में मंगलवार देर शाम दो दिवसीय राजस्थानी महिला लेखक सम्मिलन का समापन हुआ। समापन समारोह में समाहार वक्तव्य देते हुए साहित्य अकादेमी के राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि राजस्थानी साहित्य में समीक्षा और आलोचना के लिए महिला रचनाकारों को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण काल के बाद अकादेमी की ओर से यह पहला कार्यक्रम है जो राजस्थानी में हुआ है और इस सम्मिलन में बड़ी संख्या में महिला लेखकों का आना इस आयोजन की सफलता का द्योतक है। आशावादी ने कहा कि साहित्य में विमर्श लेखन को छोटा करता है।इस आयोजन के माध्यम से राजस्थानी महिला लेखन पर लम्बे अर्से बाद बात हुई हैं।

समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने कहा कि एक मंच पर एक साथ विविध साहित्यिक विद्याओं पर महिला लेखकों द्वारा विचार विमर्श करना सुखद भविष्य का संकेत है। इससे आने वाले समय में राजस्थानी का महिला लेखन परिष्कृत होकर अधिक समृद्ध होगा।

साहित्य अकादेमी के सहायक संपादक ज्योति कृष्ण वर्मा ने कहा कि इस उत्तर आधुनिकता के युग में देश की चौबीस भाषाओं में राजस्थानी भाषा भी सक्रियता के साथ खड़ी हैं। उन्होंने बेहतरीन आयोजकीय व्यवस्थाओं के लिए मरूदेश संस्थान का और समकालीन राजस्थानी साहित्य की बेहतरीन प्रस्तुतियाँ देने के लिए सभी महिला सम्भागियों का अकादेमी की ओर से आभार व्यक्त किया।

क्षेत्र के वरिष्ठ साहित्यकार भँवरसिंह सामौर ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए राजस्थानी के महिला लेखन पर खुद के आशान्वित होने की बात कही। सभी सम्भागी महिलाओं की ओर से प्रतिनिधि वक्तव्य जोधपुर की डॉ. सुमन बिस्सा ने दिया। आयोजन में मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. अर्जुनदेव चारण, अकादेमी के परामर्श मंडल के सदस्य डॉ. मंगत बादल, डॉ. शारदा कृष्ण, डॉ. मीता शर्मा, डॉ. रेणुका व्यास, संतोष चौधरी, मोनिका गौड़, डॉ. कृष्णा आचार्य, विनिता शर्मा, डॉ. धनंजया अमरावत, डॉ. संजू श्रीमाली, अमिता सेठिया, मनीषा आर्य सोनी, ऋतु शर्मा, डॉ. सीमा भाटी आदि उपस्थित रहे।आगन्तुकों का स्वागत अभिनंदन सुमनेश शर्मा, किशोर सैन, सचिव कमलनयन तोषनीवाल, वैद्य राधाकृष्ण कौशिक, रामचंद्र आर्य, डॉ. शर्मिला सोनी, स्नेहप्रभा मिश्रा, अरविंद विश्वेंद्रा, घनश्याम शर्मा, कदमकुमार शर्मा आदि ने किया। संचालन राजस्थान विश्वविद्यालय की सह आचार्य डॉ. गीता सामौर ने किया। इस अवसर पर आयोजन को सफल बनाने वाले सहयोगियों का सम्मान भी किया गया।

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