गांधी दर्शन को जीवन में उतारने की जरूरत : मधु आचार्य

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150 वें जयंती वर्ष के उपलक्ष सद्भावना सप्ताह के समापन समारोह में प्रतिभागियों को किया सम्मानित

चूरू। साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के राजस्थानी भाषा परामर्शक मंडल के संयोजक एवं प्रख्यात राजस्थानी साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी ने कहा है कि गांधी दर्शन केवल पढ़ने, लिखने या सुनने की चीज नहीं है, गांधी दर्शन को जीवन में, अपने आचारण में उतारने की जरूरत है।वे गुरुवार को जिला मुख्यालय पर इंद्रमणि पार्क में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150 वें जयंती वर्ष के उपलक्ष में जिला कलक्टर साँवर मल वर्मा के मुख्य आतिथ्य में आयोजित सद्भावना सप्ताह के समापन समारोह में बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। आचार्य ने कहा कि यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि राज्य सरकार की पहल पर गांधी दर्शन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए काम शुरू हुआ है और चूरू जिले ने इसे लेकर बेहतरीन आयोजन किये हैं। आचार्य ने गांधी के जीवन की विभिन्न घटनाओं और प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि दक्षिण अफ्रीका में जब वहां के मूल और बाहरी लोगों में भेदभाव किया गया तो वहां के लोगों की बजाय गांधी ने सत्याग्रह के जरिए इस भेदभाव के खिलाफ लड़ाई शुरू की। गांधी ने गिरफ्तारी और मुकदमों को भी अपनी बात रखने का जरिया बनाया और दुनिया की उस समय की सबसे बड़ी ताकत से लड़े। उन्होंने कहा कि राजनीति ने हमेशा लोगों को धर्म, जाति और दूसरे विभिन्न मसलों पर बांटने का काम किया है लेकिन गांधी ने हमेशा इंसान को इंसान समझा। एक दिन नफरत से लबरेज यह राजनीति भी थकेगी और थमेगी, लेकिन वह दिन तब आएगा जब जनता गांधी दर्शन को अपने जीवन का आधार बना लेगी। उन्होंने कहा कि गांधी दर्शन समाज व राजनीति को स्वच्छ बनाए रखने का काम करेगा। सत्ताएं बदलती रहेंगी लेकिन गांधी दर्शन हमेशा प्रासंगिक रहेगा। गांधी दर्शन में सद्भावना का खास स्थान है और वह सद्भावना जीवन में, समाज में, राजनीति में और धर्म में सदैव बनी रहनी चाहिए। समारोह के मुख्य अतिथि जिला कलक्टर साँवर मल वर्मा ने कहा कि वर्तमान देश व समाज को वास्तव में गांधी दर्शन की जरूरत है। गांधी दर्शन में दुनिया की तमाम समस्याओं का हल है और शासन-प्रशासन से लेकर जीवन के हर क्षेत्र में गांधी हमारा मार्गदर्शन करते हैं।

गांधीगीरी की नहीं, गांधी नीति की जरूरत

बतौर वक्ता संबोधित करते हुए राजस्थानी साहित्यकार हरीश बी शर्मा ने कहा कि समाज व देश को गांधीगीरी की नहीं, गांधी नीति पर चलने की जरूरत है। हमें सोचना होगा कि हमारी सद्भावना क्यों चूकती जा रही है। गांधी ने कहा था कि मेरा जीवन ही मेरा संदेश है लेकिन आज हममें से कितने लोग यह कह सकते हैं कि मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। उन्होंने कहा कि हमें संचय की प्रवृत्ति को कम करके अपनी सद्भावना का उपयोग दूसरों की खुशहाली के लिए करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गांधी ने हठ नहीं किया, हमेशा किसी भी कार्यक्रम का एक खाका, एक नीति तैयार की और उस नीति पर चले।

आज देश व समाज को सद्भावना की जरूरत

विशिष्ट अतिथि एसडीएम अभिषेक खन्ना ने गांधी दर्शन पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज देश व समाज को सबसे अधिक सद्भावना की जरूरत है। गांधी हमें प्राणिमात्र के प्रति उस सद्भावना की सीख देते हैं। यदि हम प्राणिमात्र के प्रति सद्भावी होंगे तो इस दुनिया को अधिक बेहतर व खूबसूरत बना सकेंगे। विशिष्ट अतिथि सुजानगढ़ संयोजक सविता राठी ने कहा कि आज दुनिया आंख के बदले आंख के सिद्धांत पर चल पड़ी है लेकिन हमें गांधी से सीखना होगा कि आंख के बदले आंख का सिद्धांत पूरी दुनिया को अंधा कर देगा। उन्होंने कहा कि गांधी एक विचार है जो देश, काल व समय की सीमा से परे भी अक्षुण्ण है।

हिंसात्मक समय में गांधी की बात सराहनीय

गांधी-150 के जिला संयोजक दुलाराम सहारण ने आयोजन के लिए राज्य सरकार, जिला प्रशासन और सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस हिंसात्मक समय में गांधी दर्शन की बात हो रही है, इसके लिए निस्संदेह राज्य सरकार सराहना की पात्र है। उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी कोने में गांधी हमारी पहचान साबित करते हैं। उपखंड संयोजक रियाजत खान ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि हम सभी को गांधी के विचारों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।

आयोजन सहयोगियों, विद्यार्थियों का सम्मान

समारोह के दौरान जिला कलक्टर एवं अतिथियों ने नरेंद्र दूत, सविता राठी, भरत गौड़, मोहित गर्ग, नगर परिषद के आत्माराम, एडीईओ साँवर मल गहनोलिया, योगेश सैनी, सहायक प्रशासनिक अधिकारी कमल शर्मा सहित आयोजन सहयोगियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए तथा गांधी के प्रिय भजन प्रतियोगिता में एकल गायन श्रेणी के विजेता राहुल कर्वा, उप विजेता प्रिंस परिहार तथा व समूह गायन श्रेणी में विजेता केंद्रीय विद्यालय, उप विजेता राउमावि सरदारशहर को नकद पुरस्कार प्रदान किए। संचालन गांधी प्रकोष्ठ अधिकारी उम्मेद गोठवाल एवं कमल शर्मा ने किया। इस दौरान गांधी प्रकोष्ठ सहायक दयापाल सिंह पूनिया, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक कुमार अजय, एडीईओ सांवर मल गुर्जर, सीडीपीओ सीमा सोनगरा, केंद्रीय विद्यालय की विद्या आर्य, पत्रकार नरेंद्र शर्मा, गांधी प्रकोष्ठ के ओंकार मल, मुबारिक भाटी, विकास मील, हेमंत सिहाग, इकबाल खान, दीपिका सोनी, ज्योति सिंह, सुनीता बाकोलिया, पेंटर योगेश सोनी सहित गांधीवादी कार्यकर्ता, नागरिक, अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे।

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