अगस्त क्रांति सप्ताह के चौथे दिन जिला कलक्टर साँवर मल वर्मा की अध्यक्षता में जिला कारागृह में हुई ‘हिंद स्वराज : अशांति एवं असंतोष संगोष्ठी, वक्ताओं ने कहा- गांधी के संदेश को आचरण में उतारने की जरूरत
चूरू। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150 वें जयंती वर्ष के उपलक्ष में चल रहे अगस्त क्रांति सप्ताह के चौथे दिन जिला कारागृह परिसर में आयोजित ‘हिंद स्वराज : अशांति एवं असंतोष संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि सकारात्मक लक्ष्य के लिए मन में अशांति एवं असंतोष बहुत जरूरी है। हम गांधी के संदेश को जीवन में उतारें तो निस्संदेह एक बेहतर समाज की रचना में अपना योगदान देंगे। जिला कलक्टर साँवर मल वर्मा की अध्यक्षता में राज्य सरकार, महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति एवं जिला प्रशासन की ओर से आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए साहित्य अकादेमी से सम्मानित लेखक भरत ओला ने कहा कि गांधीजी एक अमीर परिवार में पैदा हुए और उनके पिता दीवान थे, ऎसे में उन्हें सूट-बूट और बैरिस्टरी त्याग कर लंगोटी धारण करने की जरूरत नहीं थी लेकिन वे जब दुनिया में घूमे तो उन्हें भौतिकवाद की इस दौड़ से बचकर मानवता की सेवा में स्वयं को लगाने की जरूरत महसूस हुई। राजस्थानी भाषा में संवाद शैली में दिए संबोधन में ओला ने कहा कि जानते सब हैं लेकिन यदि हम अपने ज्ञान को आचरण में लाते हैं, तो उस ज्ञान की सार्थकता है। गांधी ने अपने संपूर्ण जीवन में सत्य और अहिंसा को आचरण में उतारने का कौशल विकसित किया। उन्होंने कहा कि सकारात्मक लक्ष्य के लिए मन में अशांति एवं असंतोष भी बेहद जरूरी है। जब तक अमीर-गरीब की खाई न मिटेगी और मनुज-मनुज का सुख भाग सम नहीं होगा, तब तक गांधी के सपनों के स्वराज की कल्पना अधूरी है। गांधी का असंतोष और अशांति यह है कि हम मनुष्य की बेहतरी के लिए कुछ करें। हमें सोचना चाहिए कि हम कैसे अपने और दूसरों की जीवन को बेहतर कर सकते हैं। उन्होंने कारागृह के बंदियों से कहा कि हमें अपने जीवन में अच्छी शुरुआत करनी चाहिए। यदि आप सोच लेंगे तो दुनिया की कोई ताकत आपको बेहतर बनने से नहीं रोक सकती। उन्होंने कहा कि हमारे समाज को आज वैज्ञानिक चिंतन की जरूरत है।संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जिला कलक्टर साँवर मल वर्मा ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जान-बूझकर अपराध नहीं करना चाहता है लेकिन अपराध अक्सर परिस्थितिवश हो जाते हैं। ऎसे में व्यक्ति को उस क्षण को पीछे छोड़कर नया जीवन शुरू करने के बारे में सोचना चाहिए। हमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है।
पुलिस अधीक्षक नारायण टोगस ने कहा कि गांधी ने अहिंसा व सत्याग्रह के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाई और उन्होंने जिस तरह से अपना जीवन जिया, वह हमारे लिए एक संदेश है। हम गांधी साहित्य पढ़कर जान सकते हैं कि कैसे अपने जीवन को आदर्श बनाया जा सकता है। हमें गांधीजी के सुझाए रास्ते पर चलने की कोशिश करनी चाहिए। मुख्य वक्ता साहित्यकार डॉ घनश्याम नाथ कच्छावा ने कहा कि व्यक्ति विचारों से निर्मित प्राणी है, विचार व्यक्ति को कहीं से कहीं पहुंचा सकते हैं। विचार जीवन का निर्माण करते हैं। अपने भीतर की ताकत से अपने जीवन में बदलाव करें। राजस्थानी भाषा में दिए संबोधन में उन्होंने कहा कि गांधीजी की आत्मशक्ति के कारण ही पूरे देश में ऊर्जा का संचार हुआ और सब आजादी के लिए एकजुट हुए। अगस्त क्रांति से देश के जन-जन में आजादी की भावना जागी। गांधीजी की वेशभूषा और जीवन में इतनी सादगी थी कि आम भारतीय उनमें अपनी छवि देखता था। गांधी का जीवन इस बात का संदेश था कि यदि आप दुनिया को बदलना चाहते हैं तो पहले खुद में बदलाव करें। अपना जीवन बदलने का संकल्प लें। उन्होंने गांधी को उद्धृत करते हुए कहा कि श्रम के बिना संपदा, आत्मा के बिना आनंद, मानवता के बिना विज्ञान, चरित्र के बिना ज्ञान, सिद्धांत विहीन राजनीति, नैतिकता विहीन व्यापार और त्याग के बिना पूजा जघन्य पाप है। उन्होंने गांधीजी के जीवन के अनेक प्रसंग सुनाए एवं ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती… और ‘कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है… जैसी कविताएं सुनाकर विचाराधीन बंदियों को सकारात्मकता का संदेश दिया। गांधी-150 समिति के संयोजक दुलाराम सहारण ने आभार व्यक्त करते हुए अगस्त क्रांति सप्ताह के विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी और बंदियों से कहा कि वे गांधी के साहित्य को एक बार पढें, उनके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आएगा। उन्होंने बंदियों को रचनात्मक गतिविधियों से जुड़ने का आग्रह किया और कहा कि व्यक्ति उम्र के किसी भी मोड़ पर बेहतर की शुरुआत कर सकता है। गांधी-150 के उपखंड संयोजक रियाजत खान ने अतिथियों का स्वागत किया। जेल उप अधीक्षक कैलाश सिंह ने जेल में संचालित रचनात्मक गतिविधियों से अवगत करवाया। संगोष्ठी का संचालन कमल शर्मा ने किया।
इस मौके पर आयोजन समिति के उपखंड सह संयोजक रतन लाल जांगिड़, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक अशफाक खान, सहायक निदेशक (जनसंपर्क) कुमार अजय, गांधी-150 प्रकोष्ठ अधिकारी उम्मेद सिंह, तहसीलदार पृथ्वीसिंह मौर्य, गांधी-150 प्रकोष्ठ सहायक दयापाल सिंह पूनिया, मुबारिक भाटी, सिराज खां जोइया, विकास मील आदि मौजूद रहे। इस दौरान जिला कलक्टर सांवर मल वर्मा, मुख्य वक्ता भरत ओला व घनश्याम नाथ कच्छावा, जिला संयोजक दुलाराम सहारण सहित अतिथियों ने कारागृह परिसर में संचालित पुस्तकालय का अवलोकन किया। सेवानिवृत्त शिक्षक ओमप्रकाश तंवर ने पुस्तकालय के संचालन के संबंध में जानकारी प्रदान की। इससे पूर्व एडीएम लोकेश कुमार गौतम के नेतृत्व में जेल परिसर में अधिकारियों, कर्मचारियों, गांधीवादी कार्यकर्ताओं ने श्रमदान कर साफ-सफाई की और पौधरोपण किया।