चूरू में जिला स्तरीय वन महोत्सव के साथ ही घर-घर औषधि योजना का शुभारंभ, निःशुल्क वितरित किए जाएंगे तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा व कालमेघ के पौधे, जिला कलक्टर सांवर मल वर्मा एवं सभापति पायल सैनी सहित अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों ने किया पौधरोपण
चूरू। जिला कलक्टर सांवर मल वर्मा ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान हमने औषधीय पौधों के महत्त्व और इम्यूनिटी बूस्टिंग में उनका योगदान अच्छी तरह समझा है, यदि हम जागरुक रहकर औषधीय पौधों का सदुपयोग करेंगे तो निस्संदेह यह हमारे आरोग्य की ओर एक बड़ा कदम होगा।
जिला कलक्टर रविवार को पुलिस लाइन में वन विभाग की ओर से आयोजित जिला स्तरीय वन महोत्सव एवं राज्य सरकार की महत्त्वाकांक्षी ‘घर-घर औषधि योजना’ के शुभारंभ के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। जिला कलक्टर ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि औषधीय पौधों का वितरण तभी सार्थक होगा, जब आप इन्हें अपने घर में लगाएंगे और उनकी समुचित देखभाल करेंगे। जिला कलक्टर ने जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया वे इस योजना को लेकर लोगों को जागरुक करें, समुचित वितरण में सहभागिता निभाएं और सुनिश्चित करें कि सभी पौधे सर्वाइव करें ताकि राज्य सरकार की मंशा सफल हो। जिला कलक्टर ने कहा कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य को सदैव प्राथमिकता देते हुए काम किया और मुख्यमंत्री ने नीरोगी राजस्थान का सपना देखते हुए अनेक सुविधाएं आमजन को मुहैया करवाई हैं। कोरोना के दौरान भी बीमारी प्रबंधन के साथ-साथ लोगों की जागरुकता बहुत महत्त्वपूर्ण रही, हमें जागरुकता के उस स्तर को और बेहतर बनाना है। उन्होंने कहा कि औषधीय पौधों का महत्त्व जन-जन तक पहुंचाने के लिए जो वीडियो जारी किए गए हैं, उनका समुचित उपयोग करें और जन-जन तक पहुंचाएं।
सभापति पायल सैनी ने कहा कि जिन लोगों की इम्युनिटी अच्छी थी, कोरोना काल में वे लोग या तो संक्रमित ही न हुए और संक्रमित हुए तो भी दूसरे लोगों की बजाय काफी सुरक्षित रहे। व्यक्ति की इम्युनिटी को बढाने में ये चारों पौधे बेहद उपयोगी है। हम सभी को चाहिए कि इनका उपयोग समझें और अपनी दिनचर्या में इन्हें शामिल करते हुए अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता सबसे अच्छी बात है क्योंकि बचाव हमेशा उपचार से बेहतर होता है और जागरुक रहकर हम बीमारियों से बच सकते हैं। उप वन संरक्षक राकेश दुलार ने बताया कि राज्य सरकार ने औषधीय पौधों को प्रत्येक घर तक पहुंचाने की कवायद में ‘घर-घर औषधि’ योजना शुरू की है, जिसके तहत जिले के प्रत्येक परिवार को तुलसी, गिलोय, कालमेघ और अश्वगंधा जैसे पौधे निःशुल्क वितरित किए जाएंगे। जिले में इस वर्ष 3 लाख 47 हजार 900 परिवारों के लिए 15 लाख 30 हजार 760 पौधे तैयार किए गए हैं। चूरू, भालेरी, लीलकी, सांडवा, सरदारशहर, गोपालपुरा, रतनगढ़, राजलदेसर व तारानगर में स्थित नर्सरियों से विभिन्न विभागों एवं संस्थाओं के जरिए ये पौधे वितरित किए जाएंगे। उन्होेंने बताया कि योजना पांच वर्ष के लिए लागू की जा रही है। प्रत्येक परिवार को तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा एवं कालमेघ के दो-दो पौधे पांच वर्ष में तीन बार उपलब्ध करवाए जाएंगे। प्रथम वर्ष में जिले के आधे परिवारों को आठ-आठ पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे। अगले वर्ष शेष परिवारों को ये पौधे वितरित किए जाएंगे। तीसरे वर्ष से सभी परिवारों को 8-8 पौधे और वितरित किए जाएंगे। चौथे व पांचवे वर्ष में वैकल्पिक तौर पर आधे-आधे परिवारों को आठ-आठ पौधे मुहैया कराए जाएंगे। इस वर्ष एक लाख 73 हजार परिवारों को ये पौधे वितरित किए जाएंगे।
जिला कलक्टर ने योजना के सफल क्रियान्वयन, पौधों के वितरण की कार्ययोजना, प्रसार-प्रसार, अतिरिक्त संसाधनों की व्यवस्था, परिवहन व्यवस्था आदि विषयों के संबंध में उप वन संरक्षक से चर्चा कर फीडबैक लिया और आवश्यक निर्देश दिए। संचालन मुकुल भाटी ने किया। इस दौरान एसीइओ डॉ नरेंद्र चौधरी, एसडीएम अभिषेक खन्ना, प्राचार्य दिलीप पूनिया, गांधी-150 के संयोजक दुलाराम सहारण, जमील चौहान, पार्षद सरोज सैनी, चंद्रप्रकाश सैनी, गोकुल शर्मा, डीवाईएसपी हिमांशु शर्मा, गांधी प्रकोष्ठ प्रभारी उम्मेद गोठवाल, सहायक निदेशक (जनसंपर्क) कुमार अजय, आरआई रणवीर सिंह, रेंजर शंकर लाल सोनी, वनपाल गोपीचंद शर्मा व नरेंद्र सिंह, मनोज लांबा, कृषि उपनिदेशक दीपक कपिला, एडीईओ सांवर मल गुर्जर, डीएसओ सुरेंद्र महला, एनएसएस के शांतनु डाबी, किशन उपाध्याय सहित अधिकारी, जनप्रतिनिधि, एनएसएस व एनसीसी कैडेट, पुलिस के जवान, वन विभाग एवं नगर परिषद के कार्मिकगण मौजूद थे।
रोग से बचाव व उपचार में उपयोगी हैं चारों पौधे
उप वन संरक्षक राकेश दुलार ने बताया कि अश्वगंधा में शारीरिक व मानसिक शक्तिवद्र्धक गुण होते हैं। यह शारीरिक व मानसिक क्षीणता को दूर करता है तथा अनिद्रा, तनाव, अवसाद, स्मरण शक्ति क्षीण होना आदि विभिन्न रोगों के उपचार में कारगर है। संधिशूल, सूजन, गठिया, महिलाओं के रोग श्वेत प्रदर, अल्पार्तव, कष्टार्तव में लाभकारी है, वय स्थापक है। पुरूषों में यौन समस्या, इन्द्रीय दुर्बलता, ध्वजभंग रोग दूर होते हैं। गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमतावद्र्धक, जीवाणु व विषाणु नाशक है। जीवाणुओं व विषाणुओं से उत्पन्न ज्वर नाशक व जीर्ण ज्वर, पुनरावर्तक ज्वर का शमन कारक है। इससे गलत खानपान व दिनचर्या से होने वाली लाईफ स्टाईल डिजीज मधुमेह, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, नियंत्रित रहते हैं। यकृत विकार, अम्ल पित्त, वमन, दाह (जलन), मूत्र रोग, बवासीर से रक्तस्राव, रक्तपित्त, पित्त दोष वृद्धि जन्य व्याधियों को शांत करती है।
तुलसी संक्रमण के प्रति, रोग क्षमत्व शक्ति कारक है। सर्दी, जुकाम, खांसी, वायरल बुखार, मलेरिया बुखार, माइग्रेन का दर्द, साईनुसाईटिस, वात व्याधि, गठिया रोग, उच्च रक्त चाप में कारगर है। कालमेघ आयुर्वेदिक एन्टी बायोटिक, एन्टी वायरल, एन्टी एलर्जिक, एन्टी ट्यूमर होता है। बुखार, मलेरिया, टायफाइड, पुनरावर्तक ज्वर को शमन करता है। मूत्र मार्ग में जलन, रुक-रुक कर मूत्र आना आदि मूत्रवह संस्थान विकारों में कारगर औषधि है।