जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, विधि सत्संग एवं ग्राम पंचायत की ओर से घांघू के सामुदायिक भवन में नारी सशक्तीकरण पर विधिक साक्षरता शिविर
घांघू ।बीरबल नोखवाल चूरू जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, विधि सत्संग एवं ग्राम पंचायत घांघू की ओर से रविवार को गांव घांघू के सामुदायिक भवन में नारी सशक्तिकरण विषय पर विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान मौजूद ग्रामीण महिला-पुरुषों को घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, भरण पोषण सहित नारी के सम्मान व अधिकारों से जुड़े विभिन्न कानूनों की जानकारी दी गई।
शिविर को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव प्रमोद बंसल ने कहा कि आज स्थितियां पहले से काफी अच्छी हुई हैं लेकिन फिर भी हमें बालिका शिक्षा और नारी सशक्तीकरण की तरफ ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिस घर में नारी प्रसन्न है, निस्संदेह वह घर तरक्की करेगा और बच्चे अपना ध्यान एकाग्र कर आगे बढेंगे। घर में खुशहाली होगी तो और बेहतर भविष्य के रास्ते अपने आप ही खुलेंगे। उन्होंने स्थाई लोक अदालत के बारे में जानकारी दी और बताया कि अचल संपत्ति का लेन-देन करते समय स्टांप पर लिखकर देना पर्याप्त नहीं है, उसकी विधिवत रजिस्ट्री करवाकर हम भविष्य में होने वाले विवादों से बच सकते हैं। उन्होंने विश्व जनसंख्या दिवस पर चर्चा करते हुए कहा कि संसाधन सीमित हैं, ऎसे में यदि आबादी भी सीमित ही रहे तो देश के लोग अधिक खुशहाल रहेंगे और प्रत्येक व्यक्ति को भरपूर अवसर मिल सकेंगे।
विशिष्ट अतिथि न्यायिक मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर पारीक ने कहा कि नारी की खराब स्थिति का कारण है कि वह बेड़ियों को ही गहना समझने लग गई है। उन्होंने प्रभा खेतान को उद्धृत करते हुए कहा कि नारी की आजादी पर्स से शुरू होती है। जरूरत इस बात की है कि वह पढ़े, लिखे, काम करे और आर्थिक तौर पर सक्षम बने।
राजस्थान विश्वविद्यालय की एशोसिएट प्रोफेसर गीता सामौर ने कहा कि अपनी स्थिति में बदलाव के लिए नारी को स्वयं अपनी बेड़ियां तोड़नी होगी। उन्होंने कहा कि जब तक निर्णयों में नारी की भागीदारी नहीं होगी, वह सशक्त नहीं होगी। वरिष्ठ विधि
अधिकारी महेंद्र सैनी ने कहा कि एक खूबसूरत समाज की रचना नारी-पुरुष समानता पर निर्भर है और इसके लिए पुरुष को अपना अहम छोड़ना होगा तथा नारी को अपनी कमजोरी।
सहायक निदेशक (जनसंपर्क) कुमार अजय ने कहा कि विधि नारी को संरक्षित करती है लेकिन जरूरत इस बात की है कि नारी अपने विधिक अधिकार को समझे और किसी भी प्रकार की विपरीत स्थिति में अपने हक की लड़ाई को लड़ने का साहस बटोरे।
गोयन्का स्कूल के प्रधानाचार्य कासम अली ने कहा कि अब समय बदल रहा है और स्त्री शिक्षा में पिछडा समझे जाने वाले अल्पसंख्यक समाज में भी बदलाव आ रहा है। आने वाला समय निस्संदेह इस दिशा में एक बेहतरीन चेहरा लेकर आएगा।
वरिष्ठ विधि अधिकारी धर्मपाल शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता महावीर नेहरा, पूर्व सरपंच नाथी देवी ने भी विचार व्यक्त किए। सरपंच विमला देवी ने आभार जताया।
इस दौरान ग्राम सेवा सहकारी समिति के पूर्व अध्यक्ष परमेश्वर लाल दर्जी, पशु चिकित्सा केंद्र प्रभारी डॉ ओमप्रकाश, रुकसार बानो, बीरबल नोखवाल, उप सरपंच पूर्ण सिंह, इकबाल खान एडवोकेट, वार्ड पंच अमित शर्मा, राजेश जांगिड़, शहीद वीरांगना मधु फगेड़िया, बजरंग लाल पारीक, सहायक विधि परामर्शी शुभकरण, देवेंद्र शर्मा, राजेश माटोलिया, संजय दर्जी, सुखलाल सिहाग, वार्ड पंच बरजी देवी, संतोष देवी, व्याख्याता अग्नि कुमार शर्मा, पूजा रानी, पतराम मेघवाल, विद्याधर रेवाड़, हरफूल रेवाड़, राजेंद्र मेघवाल, साँवर मल राहड़, राधेश्याम दर्जी, शारदा फगेड़िया, आजम खां, मानसिंह सामौर, आरती सामौर, सांवलाराम पंच, खींवाराम राहड़, हीरालाल भादू, नज़ीर खान, रामलाल फगेड़िया, सांवर मल रेवाड़, सुखलाल सिहाग, सुगनाराम मांझू, नवीन यादव, करणी राम नैण, अदरीश खान, पूर्व सूबेदार सफी खान, अकरम खान, शौकत खान, बीरबल नोखवाल, नवरत्न दर्जी, दिनेश दर्जी, सत्यप्रकाश मीणा, पतराम मेघवाल, नेमीचंद जांगिड़, केसरदेव प्रजापत, फारुख अली, इरफान खान, सौरभ नेहरा, आदिल खान, राकेश नाई, विनोद मेघवाल, अजय जांगिड़, अभय नेहरा, निखिल राहड़, अकरम, सविता देवी, ममता दर्जी, बेबी दर्जी, सोनम दर्जी, नजीर खान, विशाल दर्जी, सुभाष सेवदा, राजवीर राठौड़, विजेंद्र सिहाग आदि मौजूद थे।