मरूदेश संस्थान द्वारा कन्हैयालाल सेठिया साहित्य संवाद श्रृंखला आयोजित

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” धरती धोरां री ” दुनिया के श्रेष्ठ दस गीतों में से एक – कृष्ण कल्पित

सुजानगढ़। अमित प्रजापत

स्थानीय मरूदेश संस्थान द्वारा आयोजित कन्हैया लाल सेठिया साहित्य संवाद श्रृंखला में बोलते हुए प्रदेश के वरिष्ठ कवि व चिंतक कृष्ण कल्पित ने कहा कि ‘ धरती धोरां री ‘ दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दस गीतों में से एक है जिनकी सर्वाधिक आवृति हुई है। इसमें सम्पूर्ण राजस्थान की फल, फूल, वनस्पति, कला, संस्कृति आदि का समग्र चित्रण मिलता हैं।धरती धोरा री गीत को उन्होंने कोमी तराना की उपमा दी। मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने बताया कि साहित्य मनीषी कन्हैया लाल सेठिया की एक सौ एक जन्म जयन्ती वर्ष पर इस माह के प्रथम रविवार को वर्चुअल आयोजित इस आयोजन में दूरदर्शन महानिदेशालय के अपर महानिदेशक रहे कृष्ण कल्पित ने एक घंटे के व्याख्यान में सेठिया के व्यक्तित्त्व और कृतित्व पर सार्थक प्रकाश डाला। इस आयोजन में कृष्ण कल्पित ने कहा कि महाकवि वही होता है जिसके काव्य की पक्तियाँ जन मानस के अधरों पर समायी रहती है। उन्होंने कहा कि कवि जब समाज की कुरीतियों और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ेगा तभी उसकी कविताओं में मर्म उत्पन्न होगा। कृष्ण कल्पित ने कहा कि कन्हैया लाल सेठिया की कविताएँ काल को जीत कर कालजयी हुई है और जो लोग सेठिया की कविता पर सवाल उठाते है वे लोग कविता और कविता की भंगीमा को ही नहीं समझते है। कल्पित ने सेठिया को क्रांति और दर्शन का अद्भुत कवि बताते हुए उनकी तुलना नजरूल और स्पेनिश कवि गार्सिया लोरका से की। इस आयोजन में कृष्ण कल्पित ने कहा कि सेठिया की हिंदी कविताओं के आधार पर उत्तर छायावाद के एक प्रमुख कवि के रूप में उनकी गिनती होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सेठिया और उनके समकालीन कवियों को ही आधुनिक राजस्थानी भाषा के निर्माण का श्रेय जाता है। उन्होंने कहा कि हमें हमारे महापुरूषों का का सम्मान करना चाहिए तभी हम आगे बढ़ पायेगें। आयोजन में उन्होंने कन्हैयालाल सेठिया की तीन अमर रचना धरती धोरा री, पाथल – पीथल और कुण जमीन रो धणी पर विशेष रूप से समीक्षा की। आयोजन के संयोजक किशोर सैन और सुमनेश शर्मा ने अतिथि व्याख्याकार कृष्ण कल्पित का स्वागत किया। इस आयोजन से महाकवि सेठिया के पुत्र जयप्रकाश सेठिया, मुख्यमंत्री के ओएसडी फारूख आफरीदी, साहित्य अकादेमी के संयोजक मधु आचार्य आशावादी, डॉ. सत्यनारायण, मालचंद तिवाड़ी, जितेंद्र निर्मोही, विनोद भारद्वाज, डॉ. सुरेंद्र डी सोनी, डॉ. मेघना शर्मा, डॉ. सत्यनारायण सोनी, प्रो. राजेंद्र कुमार सिंघवी, डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित, अशोक अत्रेय, डॉ. हरिमोहन सारस्वत, शंकर शर्मा, डॉ. मीता शर्मा, डॉ. मदन गोपाल लढ़ा, रागिनी राय, डॉ. पायल वर्मा, मोहन शास्त्री, यामिनी शर्मा, शिव योगी, हुकमसिंह तँवर, अनुराग चतुर्वेदी, बीएल गिलान, स्नेह मिश्रा, कंचनलता शर्मा, लालचंद मानव ,संतोष शर्मा, अमित तिवाड़ी, ओम शर्मा आदि लोग देश विदेश से जुड़े।

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