आज के सत्र में मेदांता की सीनियर डायरेक्टर डॉ सुशीला कटारिया से हो होगा संवाद
अलवर । पूछे डॉक्टर से में बुधवार को एम्स जोधपुर के डीन (अकादमिक), प्रोफेसर और प्रमुख, बाल रोग विभाग के डॉ. कुलदीप सिंह जनता से जुड़े। उन्होंने कहा कि कोरोना के दूसरे फेज में अब बच्चे भी चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि नवजात
बच्चों में कोरोना के लक्षण देखे गए हैं लेकिन ऐसे बच्चों को मां से दूर करने की जरूरत नहीं पड़ी। नवजात बच्चों में कोरोना मां के दूध से जल्दी दूर होता है। डॉ.कुलदीप सिंह ने कहा कि बच्चों में कोरोना के लक्षण कुछ दिनों बाद शुरू होते हैं। बच्चों में पेशाब ज्यादा आने लगता है। उनका ब्लड प्रेशर लो हो जाता है। बच्चों में माइल्ड और मॉडरेट इंफैक्शन में घर पर ही बच्चों को रखा जा कर इलाज किया जा सकता है। जिसमें बच्चों के अभिभावकों को कोविड अप्रोपिएट बिहेवियर की पालना स्वयं करनी होती है।गौरतलब है कि गौरतलब है कि डॉ.कुलदीप सिंह राजस्थान पुलिस और अलवर पुलिस की ओर से जारी ऑनलाइन चिकित्सीय संवाद श्रंखला पूछे डॉक्टर से में जनता के सवालों के जवाब दे रहे थे।
रेड अलर्ट पखवाड़ा अवधि में कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत अलवर पुलिस, यूनिसेफ, राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग, सरदार पटेल पुलिस यूनिवर्सिटी, जिला प्रशासन अलवर,एलएआरसी एवं संप्रीति संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में जारी ऑनलाइन चिकित्सक संवाद श्रंखला में पूछें डॉक्टर से के अंतर्गत वेबिनार अलवर पुलिस के अधिकृत सोशल मीडिया फेसबुक हैंडल व सुरक्षा संवाद श्रंखला के यूट्यूब चैनल पर लाइव प्रसारित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त इसका सीधा प्रसारण आरएससीपीसीआर, एसपीयूपी, जोधपुर पुलिस आदि के सोशल हैंडल्स पर भी किया जा रहा है।बच्चों में ब्लैक फंगस क्यों होता है और यह क्या है: डॉ.कुलदीप सिंह ने जनता के जवाब देते हुए कहा कि ब्लैक फंगस को हम म्यूकमाइकोसिस कहते हैं। यह नॉर्मल फंगस है। जो हमारे आस पास के वातावरण में फैली रहती है। उन्होंने कहा कि यह नाक और मुंह के जरिए हमारे शरीर में जाती है। डॉ.सिंह ने कहा ऐसे बच्चे जो कि डॉयबिटिज से ग्रसित है। अत्यधिक वजन होता है। कैंसर या अन्य किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं तो उन बच्चों में यह फंगस फैलने की संभावना होती है। इससे बचने के लिए हमें नाक, मुंह और गले को स्वच्छ रखना चाहिए। आप-पास के वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए। शारीरिक और वातावरण की स्वच्छता ब्लैक फंगस जो एक नॉर्मल फंगस है से बचा जा सकता है। बच्चों में डॉयबिटिज को कंट्रोल करना अति आवश्यक है।
टेलीमेडीसन क्या है: डॉ.सिंह ने कहा कि टेलीमेडीसन के जरिए आप डॉक्टर से अपनी बीमारी के बारे में परामर्श कर सकते हैं। आपको अधिकतर मामलों में अस्पताल आने की जरूरत नहीं होती है। डॉ.सिंह ने कहा यह हमेशा ध्यान रखें कि गंभीर बीमारियों और स्थितियों मेें आस-पास के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जोधपुर एम्स में यह सुविधा अप्रेल महीने में शुरू हो गई थी। जोधपुर के साथ ही यह सुविधा सिरोही में शुरू की गई है।
बच्चों के कब से कोरोना की वैक्सीन लग सकेंगी: यूरोप और अमेरिका में इस पर काम कर चल रहा है। हमारे देश में इसकी मंजूरी मिल चुकी है। अभी इसका ट्रायल चल रहा है शुरू में 525 बच्चों में यह ट्रायल चल रहा है। तीन से छह महीने बच्चों के लिए वैक्सीन मार्केट में आ जाएगी। एचआरसीटी कब करवाना चाहिए: डॉ.सिंह ने कहा कि एचआरसीटी स्वयं के स्तर एचआरसीटी नहीं करवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को पांचवें दिन तक बुखार 102 से ज्यादा हो। खांसी हो, छाती में दवाब हो और सांस लेने में तकलीफ हो तभी हमें एचआरसीटी की जरूरत होती है। एचआरसीटी केवल डॉक्टर के कहने पर ही करवाएं।बच्चे बाहर जाएं तभी एन-95 पहनें: डॉ.कुलदीप सिंह ने कहा घर में बच्चों को सूती कपडे का मास्क ही पर्याप्त है। घर में अगर कोई व्यक्ति पॉजिटिव है तो थ्री लेयर सर्जिकल मास्क आवश्यक है लेकिन अगर बच्चे बाहर जा रहे हैं, अस्पताल जा रहे हैं या फिर किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं तो ही एन-95 मास्क बच्चे पहने।
आज रू-ब-रू होंगी डॉ.सुशीला कटारिया
गुरुवार की शाम पूछे डॉक्टर से चिकित्सकीय संवाद श्रंखला में मेदांता अस्पताल की सीनियर डायरेक्टर, इंटर्नल मेडीसन डॉ.सुशीला कटारिया। डॉ.सुशीला कटारिया देश की उन चुनिंदा डॉक्टरों में से हैं जिन्होंने कोविड-19 के शुरूआती दौर में कोविड मरीजों को ठीक किया और इटली के जिन पर्यटकों से यह भारत में फैला उनका इलाज किया।