चूरू, 24 अप्रैल। पब्लिक रिलेशन एंड अलायड सर्विस एशोसिएशन आॅफ राजस्थान (प्रसार) ने सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को अति आवश्यक सेवा के रूप में सूचीबद्ध कर जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर के तौर पर चिन्हित किए जाने की मांग की है।
प्रसार की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे गए ज्ञापन में कहा गया है कि प्रदेश में पिछले 1 साल से अधिक समय से राज्य सरकार द्वारा कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ी जा रही जंग में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग सरकार के अन्य संबंधित विभागों यथा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, पुलिस तथा जिला प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग कर रहा है। इस महामारी से जूझने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण काम आमजन तक सूचनाओं, दिशा-निर्देशों तथा हैल्थ प्रोटोकाॅल की जानकारी पहुंचाना रहा। इस काम को सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों एवं कार्मिकों ने कड़ी मेहनत के साथ दिन-रात एक कर अंजाम दिया। लगातार फील्ड में कार्यरत रहने के चलते विभाग के 40 से अधिक अधिकारी अधिकारी एवं कार्मिक कोरोना वायरस से पीड़ित हुए। कई अधिकारियों एवं कार्मिकों के तो परिजनों तक को उनके कारण संक्रमण की पीड़ा झेलनी पड़ी। इस दौरान कुछ साथी अकाल मौत के शिकार भी हो गए।
प्रसार अध्यक्ष मोतीलाल वर्मा ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कई राजकीय सेवाओं को अतिआवश्यक सेवाओं तथा इन सेवाओं के कार्मिकों को फ्रंट लाइन वर्कर के रूप में परिभाषित करने की सूची में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को शामिल नहीं करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। जनसम्पर्क सेवाओं से जुड़े कार्मिकों को फ्रंट लाइन वर्कर के रूप में चिन्हित नहीं करने से विभाग के अधिकारियों और कार्मिकों में रोष है।
गौरतलब है कि 18 अप्रेल और 23 अप्रेल को राज्य सरकार के गृह विभाग द्वारा प्रदेशभर में लागू किए गए प्रतिबंधात्मक आदेशों में कई विभागों को कार्यालय खोलने एवं गतिविधियां संचालित रखने के लिए अनुमत किया गया है, जिसमें सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग शामिल नहीं है। ऐसे में, जिला स्तर तक जनसम्पर्क कार्यालयों को राज्य सरकार की योजनाओं और दिशा-निर्देशों के प्रचार-प्रसार के महत्वपूर्ण काम को सुव्यवस्थित तरीके से अंजाम देने के लिए बिना अधिकारिक अनुमति के खोलना पड़ रहा है। साथ ही, कार्मिकों को कार्यालय आने-जाने के समय भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।