हंसना और हंसाना सबसे बड़ी कला – ख्याली सहारण

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मेरे चेहरे पर पड़ी झुर्रियों को मुंबई में डिम्पल कहते हैं

चूरू। चूरू पुलिस और फिल्मस्थान व संप्रीति संस्था की ओर से शुक्रवार को प्रख्यात कॉमेडियन ख्याली सहारण ऑनलाइन लाइव चैट सैशन श्रंखला में अपने ख्याल बताने जनता से बात करने आए प्रख्यात कॉमेडियन ख्याली सहारण शुक्रवार को जनता से रूबरू हुए । ख्याली ने जनता से बात करते हुए हंसते खिलखिलाते हुए जीवन दर्शन की बातें की उन्होंने कहा हंसना एक कला है, हंसी बांटना उससे भी बड़ी कला है। उन्होंने कहा हंसने से चेहरे की सारी मांसपेशियां काम करती हैं और हमेशा यह ध्यान रखें कि जानवर नहीं हंसते इसलिए हमें हंसना चाहिए।

उन्होंने खुद के बारे में कहा कि उनका चेहरा ऐसा है कि गांव में उसे झर्रिया कहते हैं लेकिन मुंबई में उसे डिंपल कहते हैं।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन को मुसीबत नहीं समझे ,मुसीबत का मजाक बना लेंगे तो उसमें से कॉमेडी निकलेगी।
ख्याली सहारण ने अपने नाम के बारे में बताया की या तो प्यार शब्द ढाई अक्षर का होता है या फिर मेरा नाम ढाई आखर का है। उन्होंने कहा कि वे बचपन से कॉमेडियन नहीं थे स्कूल में बाल सभा से उनका कॉमेडी का सफर शुरू हुआ। उसके बाद नाटक किए और मुंबई का रुख हुआ। ख्याली ने कहा कि सभी लोग उनकी लॉकडाउन जैसे माहौल में उसकी खासियत देखें और बच्चों को बताएं की प्रदूषण कम हो चला है और अब बच्चों को पता चला है कि तारे भी टिमटिमाते हैं।
ख्याली ने जनता को बताया की उनके जीवन में भक्ति का बड़ा महत्व है भक्ति से शक्ति मिलती हैं और इस शक्ति से ही समाज के लिए अच्छा और सकारात्मक करने की प्रेरणा मिलती है।ख्याली सहारण ने जनता को उनके द्वारा संचालित देश के पहले निजी सैनिक स्कूल के बारे में भी जानकारी दी।उन्होंने अपने जीवन की सफलता का श्रेय परमात्मा को दिया और कहा कि उन पर परमात्मा के काफी एहसान हैं। ख्याली ने राजस्थानी,हरियाणवी और पंजाबी गीत भी जनता को सुनाएं ।

ख्याली के फाइव लाफ्टर पंच

: मैं लाफ्टर की राखी सावंत हूं
:बचपन में देवी को चांदी की जीभ चढ़ा कर आया तब से बोल ही रहा हूं ।
:आप मेरा स्वागत करो, मैं आपका स्वागत करूं और लॉकडाउन खत्म हो जाए।
: मैं प्लेटफार्म पर सोया भी तो अंग्रेजी अखबार बिछाकर सोया।
:म्हारे बापू बोले अब तो जानवर भी टीवी में आ गए तू कब आएगा

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