चूरू। अपनी प्रस्तुतियों में भव्यता के कारण थिएटर के संजय लीला भंसाली कहे जाने वाले देश के जाने-माने रंग-निर्देशक अतुल सत्य कौशिक बुधवार को चूरू पुलिस के फेसबुक पेज पर लोगों से रूबरू हुए। इस दौरान उन्होंने थिएटर से जुड़े अपने अनुभव साझा किए, अभिनय की बारीकियां सिखाईं और कहा कि थिएटर आपको जिंदगी के हर फील्ड में सपोर्ट करता है, वह आपको परफेक्शन देता हैै।
चूरू पुलिस अधीक्षक तेजस्वनी गौतम की पहल पर संप्रीति संस्थान एवं फिल्मस्थान के सहयोग से हुए इस आॅनलाइन सेशन में उन्होंने बताया कि सिनेमा, टीवी और डिजिटल मीडिया के बावजूद थिएटर की अहमियत बनी रही है और हमेशा बनी रहेगी। जिस वास्तविकता और ईमानदारी के साथ अभिनेता थिएटर में आपके सामने प्रस्तुत होता, वह दूसरे किसी माध्यम में नहीं होती। थिएटर में कोई एडिटिंग ट्रिक नहीं होती, कोई रीटेक नहीं होता। दूसरे माध्यमों से न थिएटर की कोई तुलना है और न ही कोई प्रतिस्पर्धा। सब कला के ही अलग-अलग रूप है। यदि कोई दस साल थिएटर करके फिल्मों में जाता है, या फिल्में-सीरियल करके थिएटर में आता है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। थिएटर अपनी मौलिकता और विशिष्टता के कारण हजारों साल से चल रहा है और इसका आकार बढ़ता ही जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जून में जयपुर में थिएटर के बाद एसपी तेजस्वनी गौतम के कहने पर चूरू में एक वर्कशाॅप का प्लान था लेकिन वह अभी लाॅक डाऊन के कारण यह दुबारा तय किया जाएगा। जल्द ही आप लोगों के लिए कोई नाटक लेकर चूरू आऊंगा। यदि आप सीखना चाहते हैं तो किसी आॅनलाइन वर्कशाॅप पर भी विचार किया जा सकता है। उन्होंने अपनी पृष्ठभूमि पर चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने काॅमर्स से पढाई की, फिर वकालत की पढाई भी की लेकिन पैशन हमेशा रंगमंच रहा। एनएसडी समेत बड़े संस्थानों में एडमिशन नहीं होने पर भी निराश नहीं होकर अपने स्तर पर नाटक सीखकर मैंने अपनी संस्था शुरू की और पिछले दस सालों में 1200 से भी अधिक सफल नाट्य मंचन के बाद पिछले दिनों ही एनएसडी की ओर से होने वाले एशिया के सबसे बड़े थिएटर फेस्टिवल में मेरे नाटक बालीगंज का प्रदर्शन हुआ। आप हौसला रखते हैं तो एक न एक दिन अवश्य कामयाब होते हैं।
कौशिक ने बताया कि उनके नाटक चक्रव्यूह का मंचन 90 बार हो चुका है, जिसमें महाभारत में कृष्ण बने नीतीश भारद्वाज स्वयं कृष्ण का रोल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रंगमंच जादू की दुनिया है। यहां जैसा संसार आप रचना चाहते हैं, रच पाते हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को मौका मिले तो थोड़ा बहुत रंगमंच जरूर सीखना चाहिए। रंगकर्म से जुड़ा व्यक्ति यदि डाॅक्टर है तो वह ज्यादा बेहतर ढंग से मरीजों को देख पाएगा, यदि वकील है तो ज्यादा बेहतर पैरवी करेगा और यदि पुलिस अधिकारी है तो ज्यादा बेहतर नेतृत्व कर सकेगा।
उन्होंने अभिनय और थिएटर के टिप्स देते हुए पांच प्रमुख बातों पर जोर दिया और कहा कि बेहतर उच्चारण के साथ ज्यादा से ज्यादा पढें, खुद को फिट रखें, चीजों का आॅब्जर्वेशन सीखें, अच्छे श्रोता बनें और बेहतर टीम प्लेयर बनें। थिएटर की शुरुआत किसी भी उम्र से हो सकती है। बेसिक चीजें लाॅक डाऊन में ही शुरू कर सकते हैं। कैरियर के तौर पर भी खूब संभावनाएं हैं थिएटर में। आवाज की बेहतरी के लिए उच्चारण के साथ-साथ प्रोजेक्शन पर ध्यान देना होगा। आवाज में एक बेस बने, गले से नहीं पेट से आवाज निकले। श्वास से जुड़ी एक्सरसाइज करें।
पुलिस अधीक्षक तेजस्वनी गौतम ने बताया कि आॅनलाइन सेशन की इसी श्रंखला के तहत गुरुवार शाम पांच बजे हैल्थ एक्सपर्ट एवं वूमन एंटरप्रेन्योर प्रिया प्रकाश चूरू पुलिस के फेसबुक पेज पर चूरू के लोगों से रूबरू होंगी।