साहित्यकार सम्मेलन में कन्हैयालाल सेठिया के हिन्दी काव्य पर हुआ मंथन
चूरू। मरूदेश संस्थान सुजानगढ़ और राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में विगत दिवस साहित्य मनीषी कन्हैयालाल सेठिया की स्मृति में जिला साहित्यकार सम्मेलन के अन्तर्गत उनके हिन्दी काव्य पर सार्थक मंथन हुआ। मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष डाॅ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने बताया कि चार सत्रों में चला यह विराट साहित्य सम्मेलन महाकवि कन्हैयालाल सेठिया के हिन्दी काव्य पर केन्द्रित था। कार्यक्रम में वक्तओं ने कहा कि महाकवि सेठिया ने सगुण साधनों से निर्गुण को साध लिया हैं। चिंन्तन की ऊर्जा से चिन्ता की मूच्र्छा को प्रताड़ित कर चित् चैतन्य से मृण्मय मन को चिनमय बनाया है। कन्हैयालाल सेठिया के निज हवेली के ऐतिहासिक प्रांगण में आयोजित इस समारोह के उद्घाटन सत्र में राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डाॅ. इंदुशेखर तत्पुरूष ने अपने वाॅइस संदेश में कहा कि राजस्थान की लोक संस्कृति और प्रदेश की आन , बान , शान को विश्व भर में गुंजायमान करने में महाकवि कन्हैयालाल सेठिया का योगदान अप्रतीत है। डाॅ. इंदुशेखर ने कहा कि कन्हैयालाल सेठिया राजस्थान के रविन्द्र नाथ टैगोर है और उनके निवास स्थान पर यह कार्यक्रम कर अकादमी गौरवान्वित हुई है। इस उदघाट्न सत्र की अध्यक्षता राजस्थान साहित्य अकादमी के सदस्य डाॅ. सुरेन्द्र डी. सोनी ने की। इस अवसर पर डाॅ. सोनी ने कहा कि सेठिया को किसी वाद में नहीं बांधा जा सकता है। उनका साहित्य इंद्रधनुष के समान सतरंगा है और अमर है। उनका एक – एक शब्द अपने में अर्थपूर्ण और रचनाओं में दर्शन , प्रकृति – चित्रण, लोक – जीवन और वीर – रस सब कुछ है। सम्मेलन के मुख्य अतिथि सार्वजनिक निर्माण विभाग के विशेषाधिकारी इंजी. बी. एल. भाटी ने कहा कि सेठिया का साहित्य पाठक को उस पीड़ा से निकली कविता रूपी गंगा में गोते लगाकर ह्मदयानन्द की आत्मानुभुति की बात करता है। भाटी ने सेठिया की स्मृति को अक्षुण्य बनाएं जाने की बात कही। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सालासर बालाजी मंदिर के देवकीनंदन पुजारी ने कन्हैयालाल सेठिया के सामाजिक सरोकरों के सम्बन्ध में बताया। प्रथम सत्र में आभार व्यक्त छापर के विमल सुराणा ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर किया। चूरू के मंगल भारती ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। उद्घाटन सत्र का संचालन डाॅ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने किया।
उद्घाटन सत्र के पश्चात चर्चा व परिचर्चा सत्र में सेठिया के साहित्य पर चर्चा और संवाद हुआ। चर्चा व पत्र वाचन सत्र की अध्यक्षता नगर श्री संस्थान चूरू के श्याम सुंदर शर्मा ने की। इस सत्र में विशिष्ट अतिथि लोहिया कालेज के एसोसियेट प्रोफेसर राजकुमार लाटा भी विचार व्यक्त किए। इस सत्र में सोना देवी सेठिया कन्या महाविध्यालय की व्याख्याता डाॅ. जय श्री सेठिया ने ‘‘कन्हैयलाल सेठिया हिन्दी काव्य ग्रंथो की मूल संवेदना’’ और राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय , हर्ष की व्याख्याता डाॅ. अमृता जोशी ने ‘‘कन्हैयालाल सेठिया के काव्य की लोक तांत्विक मीमांसा व प्रासंगिकता ’’ पर अपने पत्र पढें। पत्रवाचकों के पत्रों से उपजे सवालो पर सम्मेलन में प्रभावी चर्चा हुई। इस अवसर पर प्रो. हीरालाल गोदारा , हाजी शमसुदीन स्नेही, मोहन चैतन्य शात्री, डाॅ. साधना प्रधान , भंवर सिंह सामौर , शंकरलाल मेघवाल , मदनलाल गुर्जर सरस आदि ने हिस्सा लिया। इस सत्र का संचालन अकादमी के सदस्य डाॅ. सुरेन्द्र डी. सोनी ने किया। आगन्तुक अतिथियों का स्वागत संस्थान के सचिव कमल नयन तोषनीवाल , सुमनेश शर्मा , रतनलाल सैन , डाॅ. वीरेनद्र भाटी मंगल , विमल भूतोड़िया , विधाधर पारीक , पार्षद श्री राम भामा , माणकचंद सर्राफ , पूनमचंद सारस्वत , बाबूलाल सैनी , नवरतन पुरोहित , भोमाराम बिजारणिया , अरविंद सामरिया, इलियास खां, अमरचंद चैधरी , रानी जैन, संतोष शर्मा , सुनीता रावतानी , माया सामरिया, चूरू की मीना सोनी ने किया। कार्यक्रम में चित्रकार पंकज तूनवाल ने अकादमी के चेयरमैन डाॅ. इन्दुशेखर तत्पुरूष का एक ‘‘स्केच’’ कार्यक्रम में भेंट किया। आगन्तुकों ने कन्हैयालाल सेठिया की हवेली और उनसे जुड़े संस्मरणो के साथ अवलोकन कर अविभूत हुए। दोपहर के बाद तीसरे सत्र संस्मरण और चर्चा में इस सत्र की अध्यक्षता कर रहे समाजसेवी शंकरलाल सामरिया ने कहा कि सुजानगढ़ को सेठिया ने खूब सुयश प्रदान कर स्वयं साहित्य के कारण अमर हो गये। मुख्य अतिथि मारवाड़ी युवा मंच की प्रांतीय उपाध्यक्ष डाॅ. शर्मिल सोनी, विशिष्ट अतिथ झुंझुनु के गीतकार बी. एल. सावन और चूरू के साहित्यकार राजेनद्र श्र्मा ‘मुसाफिर’ ने भी अपने विचार व्यक्त किये। संस्मरण सत्र में लाडनूं के डाॅ. विरेनद्र भाटी मंगल , स्नेह प्रभा मिश्रा, सूर्य प्रकाश मावतवाल, एडवोकेट हेमंत शर्मा, तनसुख रामपुरिया, पत्रकार औंकार पारीक, मुकेश रावतानी , कालेज प्राचार्य हीरालाल गोदारा , राजगढ़ साहित्य समिति के डाॅ. सत्यनारायण शांडिल्य, मोहन शास्त्री आदि ने संस्मरण सुनाये इस सत्र का संचालन रतन सैन ने किया। इसी प्रकार समापन समारोह की अध्यक्षता लोहिया कालेज चूरू के पूर्व प्राचार्य भँवर सिंह सामौर ने कहा कि सेठिया की कविताए अनुभवो की दीर्घ यन्त्रणाओं के आत्मसात से प्रस्फुटित शब्दों की अभिव्यक्ति है। इस सत्र के मुख्य अतिथि राजस्ािान साहित्य अकादमी के सदसय डाॅ. सुरेन्द्र डी. सोनी थे। विशिष्ट अतिथि डाॅ. साधना प्रधान ने सेठिया जी को लोक कवि के रूप में परिभाषित किया। इस सत्र में विशिष्ट अतिथि उप जिला कलक्टर दीनदयाल बाकोलिया ने सेठिया जी की स्मृति को अक्षुण्य रखने के लिए प्रशासनिक सहयोग का आश्वासन दिया। इस सत्र मे देश की प्रसिद्ध गायिका राजगढ़ की मनीषा शांडिल्य ने सस्वर सेठिया के प्रसिद्ध गीत – धरती धोरा री को गाकर खूब सराहना प्राप्त की इस सत्र का संचालन संस्थान के अध्यक्ष डाॅ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने किया। आगन्तुक अतिथियों का स्वागत संस्थान के सचिव कमलनयन तोषनिवाल , संयोजक सुमनेश शर्मा , रतन सैन, पूनमचंद सारस्वत, दिनेश स्वामी, माया सामरिया, मीना सोनी (चूरू) , सुनिता रावतानी, पार्षउ श्रीराम भामा, बाबूलाल सैनी, आदि ने किया। समारोह में पंजीयन का दायित्व नेहा चैधरी व मर्यादा नाथ ने संभाला। महाकवि कन्हैयालाल सेठिया की पैतृक हवेली में दस घंटे चले इस आयोजन में वक्ताओं ने उनकी स्मृति को अक्षुण्य करने की बात कही। कार्यक्रम में चूरू, रतनगढ़, राजगढ़, लाडनूं, जंसवन्तगढ़, छापर, सालासर, डीडवाना सहित अनेक जगहों से साहित्सकारों और संभागियों को अंत में प्रमाण – पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की समाप्ति के पश्चात् सुजानगढ़ के कथक गुरू प्रवीण गंगाणी के असामयिक निधन पर उनको श्रद्धाजंलि अर्पित की गई। समारोह समाप्ति पर आभार अस्सी वर्षिया सेठिया परिवार से जुड़ी श्रीमती लिछमा देवी प्रजापत ने व्यक्त किया।