पहला सुख निरोगी काया – प्रजापत

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राज्य स्तरीय आंगनबाड़ी प्रशिक्षण केन्द्र में ‘‘सुस्वास्थ्य आत्म निर्भरता’’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया
चूरू। अग्रेसन नगर स्थित झुंझुनूं पर्यावरण समिति के सभागार में राज्य स्तरीय आंगनबाड़ी प्रशिक्षण केन्द्र में ‘‘सुस्वास्थ्य आत्म निर्भरता’’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता किशोर न्याय बोर्ड चूरू के एडवोकेट रामेश्वर प्रजापति ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि जीवन में हमें दाता की भूमिका अदा करनी है। ‘‘जननी जने तो तीन जने भक्त दाता सुर नहीं तो रहज्या बांझाड़ी क्यू गमावे नुर’’ आप सुस्वास्थ्य की दाता बन कर कार्य करें। आज कुपोषण कल के लिए कुस्वास्थ्य की जड़ है। इसके लिए स्थानीय प्रकृति से जुड़े खाद्य व्यंजन को रसोई घर में पूर्ण स्थान देना है। बाजरा निरोग है सस्ता है इसके व्यंजन का भरपुर उपयोग करना है। कुपोषण दूर करने के लिए अंकुरित अनाज का भरपुर उपयोग करना है। प्रजापति ने घरेलू किचन गार्डन व फलदार पौधे लगाने की सामयिक प्रक्रिया बतायी। उन्होंने कहा कि इस समय लम्बी फली का गवार हर घर में हाथ से चुभोकर लगाया जा सकता है। टमाटर, बैंगन, मिर्ची की पौध घरों में लगायी जा सकती है। फलदार पौधे में अनार व चिकु सब तरह के पानी में हो सकता है। सब्जीयों में सहजन करून्दा आपके बहुतायात हो सकता है। पालक वर्ष में आठ महीने घरों में उपयोग लिया जा सकता है। परवल, घुनरी, बाड़करेला, सोमफली एक बार घर में लगाकर वर्ष में दो बार फलित होने का भरपुर उपयोग लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि घीया, तौरई लगाने का अब समय आ रहा है घीया बेल को गाय-भैंस-बकरी नहीं खाती है तथा सब तरह का पानी मानती है। हर घर की बाखल में लगाया जा सकता है। ऎलोविरा की सब्जी भी स्वास्थ्य वद्र्धक व सहज उपलब्ध होने वाली कम लागत की है। उन्होंने समभागियों से कहा कि स्वास्थ्य को पहला सुख कहा है हमें बाजार की और नहीं ताककर स्थानीय सब्जीयों पर आत्मनिर्भर बनना है।
कार्यक्रम में प्राचार्य गुडी देवी, चाइल्ड हैल्प लाईन के जिला प्रभारी आनंद सिंह राठौड़, एडब्ल्यूटीसी प्रभारी किशन वर्मा, सलाउला खान, पुनम आदि ने सहभागिता निभाई। कार्यक्रम का संचालन लक्ष्मी भार्गव ने किया।

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