सफल जीवन सारा समय पर निर्णय लेने का :- प्रजापति

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चूरू। राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय उंटवालिया के प्रागंण में सुस्वास्थ्य एवं संस्कारित शिक्षा विषय पर व्याख्यानमालाक का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि किशोर न्याय बोर्ड चूरू के सदस्य एडवोकेट रामेश्वर प्रजापति ने कहा कि जीवन सारा निर्णय का है, निर्णय समय पर लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘‘इंसान ने वक्त से पूछा मैं हार क्यूं जाता हूं तो प्यारे बच्चो वक्त ने कहा कि धूप हो या छांव हो काली रात हो या बरसात हो चाहे कितने भी बूरे हालात हो, मैं हर वक्त चलता रहता हूं इसलिए मैं जीत जाता हूं तूं भी मेरे साथ चल कभी नहीं हारेगा।’’ उन्होंने कहा कि प्रातः हर व्यक्ति को प्रमात्मा सुबह दो रास्ते देता है जल्दी उठीए और सपने पूरे करिए और दूसरा सोते रहें और अनचाहे-मनचाहे सपने देखते रहें, कौनसा काम करना है ये आपको देखना है। जिंदगी भी आपकी है और फैसला भी आपका है। उन्होंने कहा लक्ष्य समय से पहले तय करना चाहिए, लक्ष्य प्राप्ति के लिए जूनून, होसला, साकारात्मक सोच, एकाग्रता अध्ययन मे निरन्तरता के साथ ही समर्पित का भाव होना चाहिए। उन्होने कहा कि सबसे पहले विश्वास उसके बाद प्रयास, उसके बाद कड़ी मेहनत तथा अभ्यास जरूरी है। उन्होने कहा कि हमे जीवन में सादा जीवन व उच्च विचार की सीढीयों से आगे बढना है। विद्यार्थी का हर क्षण व हर कदम सफलता की ओर होना चाहिए असफलता यदि आये तो होसले को टूटने नही देना है। कोशिश करने वाले की कभी हार नही होती है। प्रजापति ने कहा कि इब्राहिम लिंकन, एडीसन, के जीवन से यह प्ररेणा लेनी चाहिए। उन्होने कहा कि साधारण घर से उठकर ऊचांईया छूने वाले डॉ घासीराम वर्मा, प्रो. ईशवरराम जागिड़, हमारे इस अंचल के उदाहरण है। अभावों को ताकत बनाकर आगे बढना है की प्ररेणा स्वामी गोपालदास, स्वामी केशवानन्द, डॉ भीवराम अम्बेडर, एपीजे अब्दुल कलाम, जयललिता, आदि की जीवनी से लेनी चाहिए। उन्होने कहा कि एकलव्य दृढता तथा संत कबीर साहब के तप व निरन्तर अभ्यास से हमें आगे बढने की प्ररेणा मिलती है। प्रजापति ने कहा कि प्रातः जल्दी उठकर लिखकर याद करना चाहिए, लिखकर याद करने से नींद उड जाती है, याद अधिक होता है, भूलता नही है, अशुद्धि दूर होती है, लिखने की गति बढती है, हस्तलिपि में सुधार होता है, शब्दकोश बढता है व लगातार बैठने की क्षमता बढती है तथा संक्षिप्त नोटस् तैयार होने से पुनः दोहरा कर याद किया जा सकता है। विद्या अध्ययन के लिए लगातार नियमित रूप से सात घण्टे शाला के अलावा पढना बहुत जरूरी है। हिन्दी के बीस शब्द रोजाना लिखकर याद करना चाहिए। हिन्दी के कठिन शब्दार्थ हिन्दी से हिन्दी डिक्सनरी में आप पढोगें तो आपको एक शब्द के पांच पर्यायवाची पढने को मिलेगें। अगर विद्यार्थी में कुछ करने की क्षमता ठान ले तो यह तैयारी लीक से हठकर की जा सकती है। सफलता का कोई शॉट कट नही है, कड़ी मेहनत से सफलता अर्जित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि शाला मंच से यह आहवान अभिभावकों से भी करता हूं कि मकर सक्रांति तक 100 प्रतिशत ठहराव शाला में बालकां का रखने पर सहयोग करें। इस मौके पर शाला प्रधान सुनिल कुमार शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में मनोज वर्मा, सविता पूनियां, जगदेवी, प्रभूदयाल, पृथ्वी सिंह, राजेन्द्र घिंटाला, मंजू, प्रेमचन्द, ज्ञानेवश्वरी जोशी, सुगनाराम, श्रवण कुमार, ईसराफत अली, रेणू, वनिता दईया, संजय स्वामी आदि ने सहभागिता निभाई।

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