
इस दौरान हिंदी भाषा के लिए तारो सिंदिक, गुजराती के लिए राम मोरी, पंजाबी के लिए हरमन सहित 24 भारतीय भाषाओं के युवा लेखकों को पुरस्कृत किया गया। पुरस्कार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए युवा लेखक ने कहा कि उनकी कहानियों पर मिला यह पुरस्कार राजस्थानी भाषा का सम्मान है। वे अपने इस पुरस्कार को सदियों से संघर्ष कर रहे दलित समाज को समर्पित करते हैं। उन्होंने कहा कि समूचा राजस्थान मायड़ भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने के क्षण का इंतजार कर रहा है। अकादेमी अध्यक्ष तिवारी ने इस मौके पर कहा कि साहित्य अकादेमी एक ऐसा मंच है, जहां पूरा देश एक साथ दिखाई देता है। युवाओं को साहित्यिक क्षेत्र में आगे बढ़ाने की दिशा में युवा पुरस्कार एक महत्वपूर्ण कदम है। युवा लेखन से एक खास किस्म की ऊर्जा की अपेक्षा की जाती है। आज के युवा रचनात्मकता में बहुत आगे हैं।
समारोह में पंजाबी के वरिष्ठ साहित्यकार रवैल सिंह, उम्मेद धानियां की धर्मपत्नी सुमन, बेटे पंकज, राजस्थानी साहित्यकार दुलाराम सहारण, उम्मेद गोठवाल, कुमार अजय, रामगोपाल इसराण सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं के लेखक, साहित्यप्रेमी मौजूद थे।
