‘शाही सवारी’ के लिए राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होंगे थेवा कलाकार विजय राजसोनी

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कांच पर सोने की नक्काशी है थेवा कला

प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ के दिव्यांग थेवा कलाकार विजय राजसोनी 3 दिसंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों से राष्ट्रीय पुरस्कार लेंगे। कांच पर सोने की अद्भुत नक्काशी से उकेरी गई शाही सवारी से चित्रित थेवा कला बाॅक्स के लिए उन्हें यह पुरस्कार प्राप्त होगा।
थेवा कलाकार विजय राजसोनी को जिस कलाकृति के लिए सम्मानित किया जा रहा है, वह 9 इंच लंबी तथा 4 इंच चैड़ी बाॅक्सनुमा हस्तशिल्प कलाकृति है, जिसमें हाथी, घोड़ों व ऊंट पर राजा की शाही सवारी का कलात्मक चित्राण किया गया है। साथ ही जंगली जीवों के शिकार का दृश्य दिखाया गया है। जंगल के पेड़ों, पत्तियों, फूलों व परिवेश का खूबसूरती से चित्राण किया गया है। उल्लेखनीय है कि थेवा कला में कांच पर सोनी की बारीक नक्काशी के जरिए कलाकृतियों का निर्माण किया जाता है। प्रतापगढ़ इस खास कला के लिए पूरे विश्व में अपनी अनूठी पहचान रखता है।
राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुने जाने पर प्रफुल्लित राजसोनी ने बताया कि प्रतापगढ़ जिला कलक्टर नेहा गिरि ने थेवा कला के प्रति उत्साह दिखाते हुए तत्परता के साथ उनकी अनुशंषा कर उनका प्रस्ताव भिजवाया था, जिसके लिए वे अत्यंत कृतज्ञ हैं। उन्होंने बताया कि थेवा कला करीब चार सौ साल पुरानी कला है। प्रतापगढ़ के राजसोनी बेनाथिया परिवार के नाथूलाल सोनी से इसकी शुरुआत मानी जाती है। उन्होंने किशोरावस्था में ही अपने पिता रामप्रसाद सोनी से थेवा कारीगरी सीखकर काम शुरू कर दिया था। उसके बाद से निरंतर इसमें प्रयोग कर रहे हैं। 20-25 रंगों में काम करने वाले वे एकमात्रा कलाकार हैं। बारीक से बारीक नक्काशी में इनकी मेहनत व समर्पण को देखा जा सकता है। ज्योमेट्रिक कार्य में इन्हें महारथ हासिल है। इससे पूर्व वे अनेक अवसरों पर विभिन्न स्तरों पर सम्मानित हो चुके हैं।
राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुने गए विजय राजसोनी ने बुधवार को जिला कलक्टर नेहा गिरि से मुलाकात कर उनका आभार जताया। इस पर जिला कलक्टर ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि थेवा कला से प्रतापगढ की पूरे विश्व में पहचान है। इस कला को आगे बढाने के लिए और युवाओं को भी प्रशिक्षित करें।

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