बाल विवाह मुक्त राजस्थान बनाने का संकल्प लें – अरुण मिश्रा

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जयपुर। बाल विवाह को किसी भी धर्म, समाज व जाति से नहीं जोड़ना चाहिए। इसकी रोकथाम के लिए साझा प्रयास कर हम सभी को बाल विवाह मुक्त राजस्थान प्रदेश बनाने का संकल्प लेना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने रविवार को यहां कृषि अनुसंधान केन्द्र दुर्गापुरा में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में “The Prohibition of Child Marriage Act-2006 & Legal Services to Victims of Acid Attack : Scheme of NALSA” विषय पर आयोजित एक दिवसीय सेमीनार में मुख्य अतिथि के रूप में यह विचार व्यक्त किये।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश श्री मिश्रा ने कहा कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, आन्ध्रप्रदेश सहित अन्य राज्याेंं मेंं बाल विवाह की कुप्रथा थी। इसकी रोकथाम के लिए चाइल्ड मैरिज एक्ट-2006 बनाया गया है। इस एक्ट के तहत कठोर व सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पीपल पूर्णिमा व अक्षय तृतीया जैसे अबूझ सावों पर क्षेत्र में जन प्रतिनिधि, राज्य सरकार, स्वयंसेवी संगठन एवं न्यायिक अधिकारी विशेष निगरानी रखें ताकि समाज में बाल विवाह न हों। बाल विवाह की रोकथाम के लिए समाज में वातावरण बनाने की आवश्यकता है। समाज में जागृति फैले इसके लिए बाल विवाह से बच्चों के भविष्य पर पड़ने वाले कुप्रभाव आदि के बारे में व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में एसिड हमलोें की घटनाआेंं को रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय ने कठोर कदम उठाये हैं। महिलाओं एवं किशोरियों के साथ होने वाली इन घटनाओं को गंभीरता से लेना चाहिए। इसे रोकने के लिए अलग से सेल का गठन किया गया है।
सेमीनार में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश श्री नवीन सिन्हा ने कहा कि मुझे राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम करने का सौभाग्य मिला। राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से समाज में बाल विवाह की रोकथाम के लिए अनेक विधिक सहायता शिविर व कार्यक्रम समय-समय पर संचालित किये गये, जिसमें आमजन का सहयोग मिला। उन्होंने कहा कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए शिक्षा को बढ़ावा देना और बाल विवाह के दुष्परिणामों के प्रति समाज में जागरुकता पैदा करने की आवश्यकता है।

राजस्थान उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस.के. झवेरी ने आह्वान किया कि वे कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग देवें तथा बाल विवाह की कुप्रथा को रोकने में आखा तीज व पीपल पूर्णिमा जैसे अबूझ सावों पर निगरानी रखें।

इस अवसर पर यूनिसेफ हैड मंजरी पंत ने बताया कि यूनिसेफ द्वारा राज्य सरकारों के साथ विभिन्न संगठनों के सहयोग से कई प्रकार के कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं।

इससे पहले राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने सेमीनार में उपस्थित राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, जिला जजों, न्यायिक अधिकारियों, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों, स्वयंसेवी संगठनों के कार्यकर्ताओं सहित उपस्थित अन्य अधिकारियों को प्रदेश में बाल विवाह की रोकथाम की शपथ दिलाई। सेमीनार में अतिथियों द्वारा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की जन कल्याणकारी योजनाओं की पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। सेमीनार में तीन तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव एस.के. जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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